D. Jayakantan

D. Jayakantan

डी. जयकान्तन

जन्म: 2 मई, 1934, कडलूर (तमिलनाडु)।

डी. जयकान्तन की अब तक लगभग दौ सौ कहानियाँ, चालीस उपन्यास और पन्द्रह निबन्ध-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें मालै मयक्कम् (1962), युगसन्धि (1963), सुय दरिशनम् (1967), गुरुपीठम् (1971), अधूरे मनुष्य (1989), (कहानी-संग्रह); उन्नैप्पो आरुवन (1964), सिल नेरंगलिल चित मनिदर्गल (1970), ओरु मनिदम् ओरु वीडु ओरु उलगम (1973), सुन्दरकाण्डम् (1982), ईश्वर अल्ला तेरे नाम (1983) (उपन्यास); निनैलु पाक्किटेन (1973) भारती पाठम् (1974), नटपिल पून मलर्गल (1986) (निबन्ध संग्रह) आदि काफ़ी चर्चित रहे हैं। उनकी कई कृतियों पर फ़िल्में बन चुकी हैं और कई रचनाओं का अन्य भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, जापानी और युक्रेनी भाषाओं में अनुवाद हुआ है।

सम्मान पुरस्कार: साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1972), सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार (1978), श्रेष्ठ उपन्यास के लिए तमिलनाडु सरकार पुरस्कार (1986), तमिल विश्वविद्यालय का ‘राजराजन पुरस्कार’ (1986), साहित्य अकादेमी की महत्तर सदस्यता (1996) आदि सम्मानों से विभूषित और भारतीय साहित्य में समग्र योगदान के लिए वर्ष 2002 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

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