Gyanendrapati

Gyanendrapati

ज्ञानेन्द्रपति

जन्म झारखण्ड के एक गाँव पथरगामा में, पहली जनवरी, 1950 को, एक किसान परिवार में।

पटना विश्वविद्यालय से पढ़ाई।

दसेक वर्षों तक बिहार सरकार में अधिकारी के रूप में कार्य।

नौकरी को ‘ना करी’ कह, बनारस में रहते हुए, फ़क़त कविता-लेखन।

प्रकाशित कृतियाँ : आँख हाथ बनते हुए (1970), शब्द लिखने के लिए ही यह काग़ज बना है (1981), गंगातट (2000, 2021), संशयात्मा (2004), भिनसार (2006, 2021), कवि ने कहा (2007), मनु को बनाती मनई (2013), गंगा-बीती : गंगू तेली की ज़बानी (2019), कविता भविता (2020) (कविता-संग्रह); एकचक्रानगरी (2021), (काव्य-नाटक); पढ़ते-गढ़ते (कथेतर गद्य)।

‘संशयात्मा’ के लिए वर्ष 2006 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार। समग्र लेखन के लिए पहल सम्मान, शमशेर सम्मान आदि कतिपय सम्मान।

आवास : बी-3/12, अन्नपूर्णानगर, विद्यापीठ मार्ग, वाराणसी-221002

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