Narendra Kohli
नरेन्द्र कोहली
जन्म : 1940
जन्मस्थान : स्यालकोट, पंजाब।
समकालीन हिन्दी साहित्य के प्रख्यात लेखक नरेन्द्र कोहली का जन्म 1940 में स्यालकोट, पंजाब (अब पाकिस्तान में) हुआ। बी.ए. आनर्स (हिन्दी) बिहार में किया। बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. और पीएच.डी. की। दिल्ली के पी.जी.डी.ए.वी. (सान्ध्य) कॉलेज से नौकरी शुरू करके 1965 में मोतीलाल नेहरू कॉलेज में पहुँच गए और यहीं से स्वैच्छिक अवकाश प्राप्त कर लिया। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक और व्यंग्य में सतत लेखन किया। रामकथा, कृष्णकथा, महाभारत-कथा और स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर उपन्यासों की श्रृंखलाओं ने साहित्य जगत को अभूतपूर्व रूप से समृद्ध बनाया। अब तक उनकी 84 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
रचनाएँ :
उपन्यास : अभ्युदय-1 (दीक्षा, अवसर, संघर्ष की ओर), अभ्युदय-2 (युद्ध-1, युद्ध-2), महासमर-1 (बंधन), महासमर-2 (अधिकार), महासमर-3 (कर्म), महासमर-4 (धर्म), महासमर-5 (अन्तराल), महासमर-6 (प्रच्छन्न), महासमर-7 (प्रत्यक्ष), महासमर-8 (निर्बंध), तोड़ो, कारा तोड़ो-1 (निर्माण), तोड़ो, कारा तोड़ो-2 (साधना), तोड़ो, कारा तोड़ो-3 (परिव्राजक), तोड़ो कारा तोड़ो -4 (निर्देश), तोड़ो, कारा तोड़ो-5 (संदेश), अभिज्ञान, आतंक, साथ सहा गया दुःख, आत्मदान, पुनरारम्भ, जंगल, क्षमा करना जीजी, न भूतो न भविष्यति, अभियान, पृष्ठभूमि, साक्षात्कार, युद्ध भाग-1, युद्ध भाग-2, दीक्षा, अवसर, संघर्ष की ओर, प्रीति-कथा, वसुदेव, शरणम्।
कहानी संग्रह : समग्र कहानियाँ (भाग-1), समग्र कहानियाँ (भाग-2), दस प्रतिनिधि कहानियां, कहानी का अभाव, निचले फ्लैट में, संचित भूख, शटल, परिणति, नमक का कैदी, दृष्टिदेश में एकाएक, हम सबका घर, आयोग, रोज सवेरे
व्यंग्य : एक और लाल तिकोन, पाँच एब्सर्ड उपन्यास, आश्रितों का विद्रोह, जगाने का अपराध, आधुनिक लड़की की पीड़ा, त्रासदियाँ, परेशानियाँ, वह कहां है?, समग्र व्यंग्य : (देश के शुभ चिंतक समग्र व्यंग्य-1, त्राहि-त्राहि समग्र व्यंग्य-2, इश्क एक शहर का-3, रामलुभाया कहता है समग्र व्यंग्य-4), आत्मा की पवित्रता। मेरे मुहल्ले के फूल, सबसे बड़ा सत्य, मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएँ।, हुए मर के जो हम रुसवा
नाटक : शंबूक की हत्या, निर्णय रुका हुआ, हत्यारे, गारे की दीवार, किष्किंधा,
अन्य : नेपथ्य, बाबा नागार्जुन, हिन्दी उपन्यास : सृजन और सिद्धान्त, किसे जगाऊँ, प्रतिनाद, नरेन्द्र कोहली ने कहा, मेरे साक्षात्कार, प्रेमचंद (जीवनी), स्वामी विवेकानन्द (जीवनी), नरेन्द्र कोहली ने कहा (आत्मकथा), स्मरामि (संस्मरण), जहाँ धर्म है वहीं जय है (लेख)।