Prahlad Agarwal
प्रह्लाद अग्रवाल
यायावर, आवारामिजाज।
संगीत, साहित्य और सिनेमा से गहरी आशिकी।
पिछले तीन दशकों में बहुआयामी लेखन।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशन।
शासकीय स्वशासी महाविद्यालय में प्राध्यापक-पद से सेवानिवृत्त।
प्रकाशित पुस्तकें :
हिन्दी कहानी : सातवाँ दशक (आलोचना)
तानाशाह (उपन्यास)
राजकपूर : आधी हकीकत आधा फसाना, प्यासा : चिर अतृप्त गुरुदत्त, कवि शैलेन्द्र : ज़िन्दगी की जीत में यकीन, उत्ताल उमंग : सुभाष घई की फिल्मकला, बाज़ार के बाजीगर : इक्कीसवीं सदी का सिनेमा, ओ रे मांझी… : बिमलराय का सिनेमा, जुग जुग जिए मुन्नाभाई : छवियों का मायाजाल, रेशमी ख़्वाबों की धूप-छाँव : यश चोपड़ा का सिनेमा, महाबाज़ार के महानायक (सिनेमा)।
‘प्रगतिशील वसुधा’ के बहुचर्चित फिल्म विशेषांक ‘हिन्दी सिनेमा : बीसवीं से इक्कीसवीं सदी तक’ का सम्पादन एवं कई पुस्तकों के सहयोगी लेखक।