Sudama Pandey Dhoomil

Sudama Pandey Dhoomil

धूमिल

पूरा नाम : सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’

जन्म : 9 नवम्बर, 1936, गाँव खेवली, बनारस (उत्तर प्रदेश)।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में। कूर्मि क्षत्रिय इंटर कॉलेज, हरहुआ से 1953 में हाईस्कूल।

आजीविका के लिए काशी से कलकत्ता तक भटके। नौकरी मिली तो मानसिक यंत्रणा भारी पड़ी। ब्रेन ट्यूमर से पीडि़त रहे।

धूमिल साठोत्तर हिन्दी कविता के शलाका पुरुष हैं। पहली कविता कक्षा सात में लिखी। प्रारम्भिक गीतों का संग्रह—‘बाँसुरी जल गई’ फिलहाल अनुपलब्ध। कुछ कहानियाँ भी लिखीं। धूमिल की कीर्ति का आधार वे विलक्षण कविताएँ हैं जो संसद से सडक़ तक (1972), कल सुनना मुझे और सुदामा पाण्डेय का लोकतंत्र (1983) में उपस्थित हैं।

धूमिल सच्चे अर्थ में जनकवि हैं। लोकतंत्र को आकार-अस्तित्व देनेवाले अनेक संस्थानों के प्रति मोहभंग, जनता का उत्पीडऩ, सत्यविमुख सत्ता, मूल्यरहित व्यवस्था और असमाप्त पाखंड धूमिल की कविताओं का केन्द्र है। वे शब्दों को खुरदरे यथार्थ पर ला खड़ा करते हैं। भाषा और शिल्प की दृष्टि से उन्होंने एक नई काव्यधारा का प्रवर्तन किया है। जर्जर सामाजिक संरचनाओं और अर्थहीन काव्यशास्त्र को आवेग, साहस, ईमानदारी और रचनात्मक आक्रोश से निरस्त कर देनेवाले रचनाकार के रूप में धूमिल विस्मरणीय हैं।

निधन: 10 फरवरी, 1975

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