Tejpal Singh Dhama

Tejpal Singh Dhama

तेजपाल सिंह धामा

बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री तेजपाल सिंह धामा का जन्म विक्रमी संवत् 2028 में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेकड़ा कसबे की पट्टी गिरधरपुर (रुध) में हुआ।

श्री धामा को अत्यल्प काले से ही पिता श्री श्रीपाल आर्य के आमवातादि रोग से पीड़ित हो जाने के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, किन्तु फिर भी लगन एवं मेहनत से श्री धामा ने स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त की। बचपन में ही श्री धामा ने स्वदेश प्रेम और समाज सुधार की भावनाओं से ओत-प्रोत होकर ‘‘वैदिक बाल संस्था’’ नामक सामाजिक संगठन बनाया। श्री धामा ने कई सामाजिक तथा साहित्यिक संस्थाओं से जुड़कर अपनी विशिष्टता का परिचय दिया है। कई वर्षों तक मासिक पत्रिका ‘‘ग्रामीण पृष्ठभूमि’’ का कुशल संपादन किया। हैदराबाद से प्रकाशित राष्ट्रीय दैनिक ‘‘स्वतंत्र वार्ता’’ के वरिष्ठ उपसंपादक भी रहे।

दुर्व्यसन, अस्पृश्यता, पशु-पक्षी हत्या, परावलंबन और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ इत्यादि कुछ ऐसी बुराइयां हैं जिनके कारण संपूर्ण समाज को आर्थिक, सामाजिक व प्राकृतिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समाज में व्याप्त इन व्याधियों को जड़ से मिटाने के लिए श्री धामा ने सफलतापूर्वक ‘दुर्व्यसन मुक्ति आन्दोलन’ चलाया। श्री धामा का मुख्य ध्येय समाज सेवा ही है, इसलिये इन्होंने कई शहरों तथा गाँवों में ‘युवा विकास परिषद्‌’ नामक सामाजिक संगठन की शाखायें स्थापित की। श्री धामा जाति प्रथा के नाम पर फैलाई जा रही कुरीति के घोर विरोधी हैं। इन्होंने सामाजिक विरोध के बावजूद स्वयं (पूर्व अपरिचित) आन्ध्रप्रदेश की युवती से अन्तर्जातीय विवाह किया।

साहित्यकार, समाज सुधारक होने के साथ-साथ श्री धामा इतिहास के मौलिक अन्वेषक भी हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ ‘हमारी विरासत’ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। साहित्य व समाज में एक विशिष्ट स्थान बनाने वाले श्री धामा की लगभग एक दर्जन रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।

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