1857 : Awadh Ka Muktisangram

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1857 : Awadh Ka Muktisangram

1857 : Awadh Ka Muktisangram

450.00 340.00

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Author: Akhilesh Mishra

Availability: 5 in stock

Pages: 164

Year: 2007

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126712908

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

1857 : अवध का मुक्ति संग्राम

यशस्वी पत्रकार और विद्वान लेखक अखिलेश मिश्र की यह पुस्तक एक लुटेरे साम्राज्यवादी शासन के खिलाफ अवध की जनता के मुक्ति-युद्ध की दस्तावेज है। अवध ने विश्व की सबसे बड़ी ताकत ब्रिटेन का जैसा दृढ़ संकल्पित प्रतिरोध किया और इस प्रतिरोध को जितने लम्बे समय तक चलाया, उसकी मिसाल भारत के किसी और हिस्से में नहीं मिलती।

पुस्तक 1857 की क्रांति में अवध की साँझी विरासत हिन्दू-मुस्लिम एकता को भी रेखांकित करती है। इस लड़ाई ने एक बार फिर इस बात को उजागर किया था कि हिन्दू-मुस्लिम एकता की बुनियादें बहुत गहरी हैं और उन्हें किसी भेदनीति से कमजोर नहीं किया जा सकता। आंदोलन की अगुवाई कर रहे मौलवी अहमदुल्लाह शाह, बेगम हजरत महल, राजा जयलाल, राणा वेणीमाधव, राजा देवी बख्श सिंह में कौन हिन्दू था, कौन मुसलमान ? वे सब एक आततायी साम्राज्यवादी ताकत से आजादी पाने के लिए लडऩेवाले सेनानी ही तो थे। इस मुक्ति-संग्राम का चरित प्रगतिशील था। न केवल इस संग्राम में अवध ने एक स्त्री बेगम हजरत महल का नेतृत्व खुले मन से स्वीकार किया बल्कि हर वर्ग, वर्ण और धर्म की स्त्रियों ने इस क्रांति में अपनी-अपनी भूमिका पूरे उत्साह से निभाई, चाहे वह तुलसीपुर की रानी राजेश्वरी देवी हों अथवा कुछ वर्ष पूर्व तक अज्ञात वीरांगना के रूप में जानी जानेवाली योद्धा ऊदा देवी पासी।

अवध के मुक्ति-संग्राम की अग्रिम पंक्ति में भले ही राजा, जमींदार और मौलवी रहे हों लेकिन यह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहे किसानों और आम जनता का जुझारूपन था जिसने सात दिनों के भीतर अवध में ब्रिटिश शासन को समाप्त कर दिया था। यह पुस्तक 1857 के जनसंग्राम के कुछ ऐसे ही उपेक्षित पक्षों को केंद्र में लाती है। आज 1857 के जनसंग्राम को याद करना इसलिए जरूरी है कि इतिहास सिर्फ अतीत का लेखा-जोखा नहीं, वह सबक भी सिखाता है। आज भूमंडलीकरण के इस दौर में जब बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की लूट का जाल आम भारतीय को अपने फंदे में लगातार कसता जा रहा है, ईस्ट इंडिया कंपनी से लोहा लेनेवाले, उसे एक संक्षिप्त अवधि के लिए ही सही, पराजित करनेवाले वर्ष 1857 से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।

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Publishing Year

2007

Pulisher

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Hindi

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