Aadhunikta Par Punarvichar

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Aadhunikta Par Punarvichar

Aadhunikta Par Punarvichar

550.00 440.00

In stock

550.00 440.00

Author: Ajay Tiwari

Availability: 5 in stock

Pages: 208

Year: 2024

Binding: Hardbound

ISBN: 9789355184962

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

आधुनिकता पर पुनर्विचार

आधुनिकता पर पुनर्विचार से स्पष्ट होता है कि आधुनिकता का सम्बन्ध किस तरह बाज़ार, जनतान्त्रिक मूल्यबोध और वैज्ञानिक दृष्टि से है। ‘मध्यकालीन’ और ‘आधुनिक’ के विवाद को नये सिरे से उठाते हुए अजय तिवारी मध्यकालीनता की प्रचलित यूरोपीय धारणा को भारत पर लागू करने से एतराज़ करते हैं। वे भक्ति आन्दोलन को सामन्तवादविरोधी संघर्ष से जोड़कर देखते हुए तार्किक ढंग से स्पष्ट करते हैं कि भारत में लोकजागरण किस तरह विश्व बाज़ार से भारत की मण्डियों के सम्बन्ध का नतीजा है। वह रामविलास शर्मा की अवधारणाओं का विकास करते हैं। उनकी आलोचना के निशाने पर निरन्तर सघन होता बौद्धिक उपनिवेशन है। उनका लेखन परम्पराओं से आलोचनात्मक संवाद करते हुए एक तरह से दिमाग का अन-उपनिवेशन है, जिसकी आज जरूरत है।

आधुनिकता जब दोहरे संकट में फँसी हो और उत्तर- आधुनिकतावादियों ने बहुराष्ट्रीय साम्राज्यवाद का मार्ग खोल दिया हो, अजय तिवारी अपनी पुस्तक आधुनिकता पर पुनर्विचार में आधुनिकता के भारतीय साँचों की खोज में प्रवृत्त होते हैं। वे आधुनिकता की परम्पराओं की व्याख्या करते हुए उसके द्वन्द्ववाद की पड़ताल करते हैं। उनके विश्लेषण तथ्यपरक, समावेशी और जनपक्षधरता से युक्त हैं।

आधुनिकता पर पुनर्विचार विविध विषयों पर लेखों का एक पठनीय संकलन है। इसमें बीसवीं सदी की नयी चेतना के संघर्ष से लेकर यथार्थवाद के विकास तक कई विचार-बिन्दु हैं। अजय तिवारी ने धर्मनिरपेक्ष संस्कृति की समस्याओं को उठाया है। वह वर्तमान संकट की वर्गचेतन व्याख्या के साथ प्रतिरोध की परम्परा और विकल्प की खोज भी करते हैं। उनके साहित्यिक साक्ष्य और मूल्यांकन से परम्परा, आधुनिकता और समकालीनता के कई उलझे सूत्र खुलते हैं।

– शम्भुनाथ

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Authors

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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