Aadigram Upakhyan

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Aadigram Upakhyan

Aadigram Upakhyan

200.00 160.00

In stock

200.00 160.00

Author: Kunal Singh

Availability: 9 in stock

Pages: 184

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126319626

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

आदिग्राम उपाख्यान
नयी सदी में उभरे कतिपय महत्त्वपूर्ण कथाकारों में से एक कुणाल सिंह का यह पहला उपन्यास है। अपने इस पहले ही उपन्यास में कुणाल ने इस मिथ को समूल झुठलाया है कि आज की पीढ़ी नितान्त गैरराजनीतिक पीढ़ी है। अपने गहनतम अर्थों में ‘आदिग्राम उपाख्यान’ एक निर्भीक राजनीतिक उपन्यास है।

यह गुस्से में लिखा गया उपन्यास है—ऐसा गुस्सा, जो एक विराट मोहभंग के बाद रचनाकार की लेखकी में घर कर जाता है। इस उपन्यास के पन्ने-दर-पन्ने इसी गुस्से को पोसते-पालते हैं। नब्बे के बाद भारतीय राजनीति में अपराधीकरण, भ्रष्टाचार, आइडियोलॉजी का ह्रास, लालफीताशाही आदि का जो बोलबाला दिखता है, उसके प्रति रचनाकार गुस्से से भरा हुआ है। लेकिन यहाँ यह भी जोडऩा चाहिए कि यह गुस्सा अकर्मक कतई नहीं है। सबकुछ को नकारकर छुट्टी पा लेने का रोमांटिक भाव इसमें हरगिज नहीं, और न ही किसी सुरक्षित घेरे में रहकर फैसला सुनाने की इन्नोसेंसी यहाँ है। गो जब हम कहते हैं कि किसी भी पार्टी या विचारधारा में हमारा विश्वास नहीं, तो इसे परले दर्जे के एक पोलिटिकल स्टैंड के रूप में ही लेना चाहिए। इधर के कुछ वर्षों में पश्चिम बंगाल के वामपन्थ में आये विचलनों पर उँगली रखते हुए कुणाल सिंह को देखकर हमें बारहाँ यह दिख जाता है कि वे खुद कितने कट्टर वामपन्थी हैं।

कुणाल की लेखनी का जादू यहाँ अपने उत्कर्ष पर है। अपूर्व शिल्प और भाषा को बरतने का एक खास ढब कुणाल ने अर्जित किया है, जिसका आस्वाद यहाँ पहले की निस्बत अधिक सान्द्र है। यहाँ यथार्थ की घटनात्मक विस्तृति के साथ-साथ किंचित स्वैरमूलक और संवेदनात्मक उत्खनन भी है। कहें, कुणाल ने यथार्थ के थ्री डाइमेंशनल स्वरूप को पकड़ा है। कई बार घटनाओं की आवृत्ति होती है, लेकिन हर बार के दोहराव में एक अन्य पहलू जुड़कर कथा को एक नया रुख दे देता है। कुणाल जबर्दस्त किस्सागो हैं और फैंटेसी की रचना में उस्ताद। लगभग दो सौ पृष्ठों के इस उपन्यास में अमूमन इतने ही पात्र हैं, लेकिन कथाक्रम पूर्णतः अबाधित है। बंगाल के गाँव और गँवई लोगों का एक खास चरित्र भी यहाँ निर्धारित होता है, बिना आंचलिकता का ढोल पीटे।

आश्चर्य नहीं कि इस उपन्यास से गुज़रने के बाद बाघा, दक्खिना, हराधन, भागी मंडल, गुलाब, पंचानन बाबू, रघुनाथ जैसे पात्रों से ऐसा तआरुफ हो कि वे पाठकों के ज़हन में अपने लिए एक कोना सदा-सर्वदा के लिए सुरक्षित कर लें।

Additional information

Binding

Hardbound

Language

Hindi

Publishing Year

2022

Pulisher

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