Aakash Darshan

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Aakash Darshan

Aakash Darshan

700.00 530.00

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700.00 530.00

Author: Gunakar Muley

Availability: 5 in stock

Pages: 376

Year: 2015

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126705658

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

आकाश दर्शन

धरती का मानव हजारों सालों से आकाश के टिमटिमाते दीपों को निहारता आया है। सभी के मन में सवाल उठते हैं – आकाश में कितने तारे हैं ? पृथ्वी से कितनी दूर हैं ? कितने बड़े हैं ? किन पदार्थों से बने हैं ? ये सतत क्यों चमकते रहते हैं ? तारों के बारे में इन सवालों के उत्तर आधुनिक काल में, प्रमुख रूप से 1920 ई. के बाद, खोजे गए हैं; इसलिए भारतीय भाषाओं में सहज उपलब्ध भी नहीं हैं। प्रख्यात विज्ञान-लेखक गुणाकर मुले ने इस भारी अभाव की पूर्ति के लिए ही प्रस्तुत ग्रंथ की रचना की है। आधुनिक खगोल-विज्ञान में आकाश के सभी तारों को 88 तारामंडलों में बाँटा गया है।

गुणाकर मुले ने हर महीने आकाश में दिखाई देनेवाले दो-तीन प्रमुख तारामंडलों का परिचय दिया है। साथ में तारों की स्पष्ट रूप से पहचान के लिए भरपूर स्थितिचित्र भी दिए हैं। बीच-बीच में स्वतंत्र लेखों में आधुनिक खगोल-विज्ञान से संबंधित विषयों की जानकारी है, जैसे, आकाशगंगा, रेडियो- खगोल-विज्ञान, सुपरनोवा, विश्व की उत्पत्ति, तारों की दूरियों का मापन, आदि। तारामंडलों के परिचय के अंतर्गत सर्वप्रथम इनसे संबंधित यूनानी और भारतीय आख्यानों की जानकारी है। उसके बाद तारों की दूरियों और उनकी भौतिक स्थितियों के बारे में वैज्ञानिक सूचनाएँ हैं। ग्रंथ में तारों से संबंधित कुछ उपयोगी परिशिष्ट और तालिकाएँ भी हैं। अंत में तारों की हिंदी-अंग्रेजी नामावली और शब्दानुक्रमणिका है। संक्षेप में कहें तो आकाश-दर्शन एक ओर हमें धरती और इस पर विद्यमान मानव-जीवन की परम लघुता का आभास कराता है, तो दूसरी ओर विश्व की अति-दूरस्थ सीमाओं का अन्वेषण करनेवाली मानव-बुद्धि की अपूर्व क्षमताओं का भी परिचय कराता है। आकाश दर्शन वस्तुतः विश्व-दर्शन है।

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Binding

Hardbound

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Publishing Year

2015

Pulisher

Language

Hindi

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