Aalochak Ke Mukh Se

-20%

Aalochak Ke Mukh Se

Aalochak Ke Mukh Se

395.00 315.00

In stock

395.00 315.00

Author: Namvar Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 106

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126710034

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

आलोचक के मुख से

डॉ. नामवर सिंह हिन्दी आलोचना की वाचिक परम्परा के आचार्य कहे जाते हैं। जैसे बाबा नागार्जुन घूम-घूमकर किसानों और मजदूरों की सभाओं से लेकर छात्र-नौजवानों, बुद्विजीवियों और विद्वानों तक की गोष्ठियों में अपनी कविताएँ बेहिचक सुनाकर जनतान्त्रिक संवेदना जगाने का काम करते रहे, वैसे ही नामवर जी घूम-घूमकर वैचारिक लड़ाई लड़ते रहे हैं; रूढ़िवादिता, अन्धविश्वास, कलावाद, व्यक्तिवाद आदि के खिलाफ चिन्तन को प्रेरित करते रहे हैं; नई चेतना का प्रसार करते रहे हैं। इस वैचारिक, सांस्कृतिक अभियान में नामवर जी एक तो विचारहीनता की व्यावहारिक काट करते रहे हैं, दूसरे वैकल्पिक विचारधारा की ओर से लोकशिक्षण भी करते रहे हैं।

नामवर जी मार्क्सवाद को अध्ययन की पद्धति के रूप में, चिन्तन की पद्धति के रूप में, समाज में क्रान्तिकारी परिवर्तन लानेवाले मार्गदर्शक सिद्धान्त के रूप में, जीवन और समाज को मानवीय बनानेवाले सौन्दर्य-सिद्धान्त के रूप में स्वीकार करते हैं। एक मार्क्सवादी होने के नाते वे आत्मालोचन को भी स्वीकार करके चलते रहे हैं। वे आत्मालोचन करते भी रहे हैं। उनके व्याख्यानों और लेखन में भी इसके उदाहरण मिलते हैं। आलोचना को स्वीकार करने में नामवर जी का जवाब नहीं। यही कारण है कि हिन्दी क्षेत्र की शिक्षित जनता के बीच मार्क्सवाद और वामपंथ के बहुत लोकप्रिय नहीं होने के बावजूद नामवर जी उनके बीच प्रतिष्ठित और लोकप्रिय हैं।

इस पुस्तक में संकलित नामवर जी के पाँच व्याख्यान पटना में प्रगतिशील लेखक संघ के मंच से विभिन्न अवसरों पर दिए गए हैं। इन व्याख्यानों को सम्पादित करते हुए भी व्याख्यान के रूप में ही रहने दिया गया है, ताकि पाठक नामवर जी की वक्तृत्व कला का आनन्द भी ले सकें। नामवर जी अभी हिन्दी के सर्वोत्तम वक्ता हैं और माने भी जाते हैं। उनके व्याख्यान में भाषा के प्रवाह के साथ विचारों की लय होती है। इस लय का निर्माण विचारों के तारतम्य और क्रमबद्धता से होता है। अनावश्यक तथ्यों और प्रसंगों से वे बचते हैं और रोचकता का भी ध्यान हमेशा रखते हैं। आज के साहित्य, विचारधारा, सौन्दर्य, राजनीति और आलोचना से जुड़े तथा उनके अन्तरसम्बन्धों के बारे में महत्त्वपूर्ण बातें इन व्याख्यानों में कही गई हैं। हिन्दी आलोचना की यह एक महत्त्वपूर्ण किताब मानी जाएगी।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Aalochak Ke Mukh Se”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!