Antastal Ka Poora Viplava : Andhere Mein

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Antastal Ka Poora Viplava : Andhere Mein

Antastal Ka Poora Viplava : Andhere Mein

150.00 135.00

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Author: Nirmala Jain

Availability: 4 in stock

Pages: 155

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9788171196029

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

अंतस्तल का पूरा विप्लव : अँधेरे में

‘अँधेरे में’ उत्तरशती की सबसे महत्त्वपूर्ण और शायद सबसे विवादास्पद कविता है। वि‍वाद भि‍न्न रुचि और वि‍चारधारा वालों के बीच ही नहीं, समानधर्मा आलोचकों के बीच भी है। यह तथ्य कविता की सम्भावनाशीलता का प्रमाण है। यह भी सही है कि मुक्ति‍बोध के जीवन-काल में इस कविता को ख़ुद उनसे सुना तो कइयों ने होगा, लेकि‍न इसे सराहा उनकी मृत्यु के बाद ही गया। इस वि‍लम्ब का कारण उपेक्षा या उदासीनता नहीं, बल्कि ऐतिहासिकता है।

अपने समय का अतिक्रमण हर कालजयी रचना में होता है। लेकि‍न आनेवाले समय के इस कदर साथ चलनेवाली रचनाओं की संख्या बहुत नहीं होती। इस दृष्टि से देखने पर यह बात हैरत में डालनेवाली है कि अपने सारे जटिल अर्थ-वि‍न्यास और अपारदर्शी शि‍ल्प के बावजूद इस कविता के पाठकों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती गई है।

कविता के पाठक-आलोचकों ने तरह-तरह से इस बात को दोहराया है कि मध्यवर्ग के सुविधाजीवी, समझौतावादी और आदर्शजीवी मन का संघर्ष ही ‘अँधेरे में’ की काव्य-वस्तु है।

इस पुस्तक में ख्यात हि‍न्दी आलोचक नि‍र्मला जैन ने ‘अँधेरे में’ पर आधारित आलोचनात्मक आलेखों को संकलित कि‍या है। ये आलेख इस कालजयी कविता की वि‍भिन्न पक्षों से व्याख्या करते हैं।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

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