Ateet Rag

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Ateet Rag

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595.00 475.00

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Author: Nand Chaturvedi

Availability: 10 in stock

Pages: 200

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126717590

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

अतीत राग

ये वृत्तांत किसी भी व्यक्ति के जीवन का विशद ब्यौरा नहीं है; आदि से अंत तक उसे जानने का या उसके जीवन-आवेगों में रहस्यों को किसी मनोचिकित्सक की तरह देखने का। यह सिर्फ़ ज़िन्दगी के उस हिस्से को देखने की कोशिश है जो समाज से जुड़ी है और ‘सामाजिकता’ का बहुमूल्य हिस्सा है। ‘अतीत राग’ समान विचार वाले पड़ोसियों का इलाका है। इसके ज्यादातर पड़ोसी लेखक के समाजवादी साथी और साहित्यकार मित्र हैं जो शोषण-मुक्त समाज-रचना के लिए प्रतिबद्ध हैं।

‘भारतीय समाजवाद’ आज़ादी के बाद वाले दिनों में अपनी थोड़ी-सी क्रांतिकारी पहचान बनाकर विलुप्त हुआ काल-खंड है। बदलाव के इस काल-खंड में कोई विरल सिद्धांतकार नहीं मिला; जो थे वे जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव, अशोक मेहता आदि थे। वे कांग्रेस की ‘ढीली चाल’ और पूंजीपतियों के प्रति अनुकूल आचरण से सैद्धांतिक मतभेद रखते थे। लेकिनपार्टी के लिए जैसे संगठित नेतृत्व और बदलाव की दिशा चाहिए थी, उसका विश्वसनीय घोषणा-पत्र तैयार करने में वे कामयाब नहीं हुए। एक अर्थ में समाजवादी पार्टी समाप्त हो गई थी लेकिन एक अदृश्य समाजवादी पार्टी मन में बनी थी, वह बनी रही। वे जो सिर्फ़ पार्टी के उसूलों के लिए नहीं, ज़िंदगी के गंभीर उसूलों के लिए समर्पित थे, अडिग रहे, सब जैसे रिश्तेदार हो गए। वे बड़े लोग नहीं थे। कोई स्टेशन का कुली था, कोई सड़क के किनारे चाय बनाता था या शहर में पार्टी चलाता था, हीरालाल जैन थे या राजेंद्रजी, नरेंद्रजी थे या जयप्रकाश नारायण या फिर राममनोहर लोहिया थे; सब स्मृतियों में बस गए और उनकी ‘करनी की चारुता’ समृद्धि-संपदा की ललक को दोनों हाथों से उलीचकर फेंकने के साहस को मैंने देखा।

जो देखा, उसमें से वही चुना, जो ‘लोकार्पित’ था और जो लोक-रचना का भविष्य हो सकता था। वह विशेष, जो उन्होंने जीवन से मृत्यु तक चुना। मैंने भी उनकी स्मृति में उसे ही रेखांकित किया है।

– इसी पुस्तक से

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

Language

Hindi

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