Baten Mulaqaten : Aatmparak Sahityaparak
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Description
बातें-मुलाकातें : आत्मपरक-साहित्यपरक
मनोहर श्याम जोशी ने लिखा तो बहुत लेकिन अपने बारे में बहुत कम लिखा। वे आत्ममुग्धता के नहीं आत्मसंशय के लेखक थे। सब पर व्यंग्य करते थे उससे भी पहले ख़ुद पर व्यंग्य करते थे। इसीलिए इस पुस्तक का विशेष महत्त्व हो जाता है। पुस्तक में बातें हैं, मुलाक़ातें हैं और जोशी जी हैं। पहली बार यहाँ वे साक्षात्कार प्रकाशित हो रहे हैं जो समय-समय पर उन्होंने अनेक शोधार्थियों को दिये थे। निश्चय ही लेखक के व्यक्तित्व, उनके लेखन को समझने में इन साक्षात्कारों का विशेष महत्त्व है।
हिन्दी में बड़ी तादाद में मौजूद उनके पाठकों के लिए भी और शोधार्थियों के लिए भी। यह भी जानना दिलचस्प है कि मनोहर श्याम जोशी ने रचनात्मक लेखन के अलावा अन्य साहित्यिक प्रसंगों पर कम ही लिखा, लेकिन जब लिखा तो ख़ूब लिखा। इस पुस्तक में ऐसे कई दुर्लभ लेख संकलित हैं जिनसे उनकी गम्भीर साहित्यिक दृष्टि का पता चलता है। हिन्दी उपन्यासों के सीमान्तों को खोल कर रख देने वाले इस उपन्यासकार का एक दुर्लभ लेख भी इस पुस्तक में है जो आधुनिकोत्तर उपन्यास की अवधारणा को लेकर है। मेरे जानते उत्तर-आधुनिकता को लेकर किसी बड़े रचनाकार का यह अकेला ही लेख है। अपने उपन्यासों को लेकर भी एक लेख है।
बहुआयामी लेखक मनोहरश्याम जोशी का व्यक्तित्व विराट था जो पुस्तक के अनेक साक्षात्कारों में लघु-लघु खुलता है। किसी विधा में न रमने वाले इस लेखक ने हर विधा में जमकर लिखा। पुस्तक में संकलित साक्षात्कारों से उनके लेखक व्यक्तित्व का वह रूप उभर कर आता है जो हम पाठकों से अक्सर ओझल ही रहता आया है। इस नितान्त सार्वजनिक लेखक का निजी कोना जो जल्दी ही पाठकों को अन्तरंग बनाकर अपने से बाँध लेने वाला है। एक ऐसी पुस्तक जो जोशी जी के लेखन-जीवन, उनके सरोकारों को नयी रोशनी में देखने-समझने की माँग करती है।
– प्रभात रंजन
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2014 |
Pulisher |
Reviews
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