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Bhojpuri Sanskriti Ki Sant Kavita
₹695.00 ₹485.00
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Author: Udai Pratap Singh
Pages: 232
Year: 2022
Binding: Paperback
ISBN: 9789392186868
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
भोजपुरी संस्कृति की सन्त कविता
साहित्यिक समृद्धि, सामाजिक सौहार्द और आध्यात्मिक ऊँचाई की दृष्टि से भोजपुरी भाषी क्षेत्र अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसी भूमि पर संस्कृत में काव्य-महाकाव्य रचे गए तो पालि में भगवान बुद्ध के उपदेशों का संचरण हुआ। नदियों के प्रवाह ने इस क्षेत्र को उर्वर बनाया तो साधु-सन्तों की अध्यात्म-सनी वाणियों ने लोकहृदय में भक्ति की मशाल जला दी। राजनैतिक व वैचारिक गुलामी का दृढ़ता से मुकाबला करने वाला यह क्षेत्र सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यन्त सम्पन्न रहा है। यह क्षेत्र हर कालखंड में अध्यात्म की पताका सुदूर तक फहराता रहा है। इतिहास, संस्कृति व सभ्यता के न जाने कितने अज्ञात व विस्मयकारी पृष्ठ भोजपुरी माटी में छिपे हुए हैं। यह पुस्तक उसी दिशा में एक प्रयास है।
भोजपुरी बोली-बानी में सन्तों ने गाया और गुनगुनाया है। अत: भोजपुरी में सन्तों का प्रभूत साहित्य प्राप्त होता है। सन्त शिरोमणि कबीर और भक्त-शिरोमणि रैदास की यह जन्मभूमि है तो कीनाराम जैसे भक्त और योगी की तपोभूमि भी है। नाथपन्थ, रामानन्द, कबीर व रैदास पन्थ यहीं विकसित व पल्लवित हुए। दरियापन्थ, अघोरपन्थ, सतनामी सम्प्रदाय, शिवनारायणी पन्थ, सन्तमतानुयायी आश्रम, गड़वाघाट और महर्षि सदाफल देव का विहंगम योग जैसे सम्प्रदायों का प्रभाव भोजपुरी भाषी क्षेत्र में सुदूर तक विस्तृत है। सन्त बानियों की अध्यात्म वर्षा सदियों से इस क्षेत्र को हरी-भरी करती रही है।
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Binding | Paperback |
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
उदय प्रताप सिंह
जन्म : 1 जनवरी, 1955 ई., पखनपुर, अहरौला, आजमगढ़ (उ.प्र.)।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी., हिन्दी पं. दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर।
गतिविधियाँ : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली की तीन परियोजनाएँ पूर्ण की—सन्त साहित्य की सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना, भोजपुरी क्षेत्र स्थित सन्त कवियों का सामाजिक दर्शन : साहित्य और लोकप्रभाव, भारत की सामाजिक व्यवस्था में सन्त कवियों का योगदान।
साहित्य सेवा : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली द्वारा प्रदत्त दो विनिबन्ध—स्वामी रामानन्द तथा श्री वल्लभाचार्य प्रकाशित। उन्नीस पुस्तकों का लेखन तथा बारह का सम्पादन। सत्रह राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। विभिन्न सांस्कृतिक एवं अकादमिक संस्थाओं द्वारा आयोजित सम्मेलनों में सहभागिता।
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