Chaand Ka Munh Terha Hai

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Chaand Ka Munh Terha Hai

Chaand Ka Munh Terha Hai

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Author: Gajanan Madhav Muktibodh

Availability: 5 in stock

Pages: 296

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126351713

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

चाँद का मुँह टेढ़ा है

‘मुक्तिबोध की लम्बी कविताओं का पैटर्न विस्तृत होता है। एक विशाल म्यूरल पेण्टिंग—आधुनिक प्रयोगवादी; अत्याधुनिक, जिसमें सब चीज़ें ठोस और स्थिर होती हैं; किसी बहुत ट्रैजिक सम्बन्ध के जाल में कसी हुई …

अगर किसी ने स्वयं मुक्तिबोध की ज़बानी उनकी कोई रचना सुनी हो, तो… कविता समाप्त होने पर ऐसा लगता है जैसे हम कोई आतंकित करनेवाली फ़िल्म देखने के बाद एकाएक होश में आये हों।

चूँकि वह पेण्टर और मूर्तिकार हैं अपनी कविताओं में—और उनकी शैली बड़ी शक्तिशाली, कुछ यथार्थवादी मेक्सिकन भित्ति चित्रों की-सी है।…

वह एक-एक चित्र को मेहनत से तैयार करते हैं, और फिर उसके अम्बार लगाते चलते हैं। एक तारतम्य जैसे किसी ट्रैजिक नाट्य मंच पर एक उभरती भीड़ का दृश्य- पूर्वनियोजित प्रभाव के साथ खड़ी….

इसके प्रतीक प्राचीन गाथाओं के टुकड़े जान पड़ते हैं। मगर इन टुकड़ों में सन्दर्भ आधुनिक होता है। यह आधुनिक यथार्थ कथा का भयानकतम अंश होता है…

मुक्तिबोध का वास्तविक मूल्यांकन अगली, यानी अब आगे की पीढ़ी निश्चय ही करेंगी; क्योंकि उसकी करुण अनुभूतियों को, उसकी व्यर्थता और खोखलेपन को पूरी शक्ति के साथ मुक्तिबोध ने ही अभिव्यक्त किया है। इस पीढ़ी के लिए शायद यही अपना ख़ास महान कवि हो।’

— शमशेर बहादुर सिंह

पाठकों को समर्पित है पुस्तक का नया संस्करण।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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