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Description
चुकते नहीं सवाल
‘चुकते नहीं सवाल’ मृदुला गर्ग के वैचारिक मंथन की महत्त्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें उनके समय-समय पर लिखे चर्चित आलेख संग्रहीत है।
मृदुला गर्ग केवल साहित्य और संस्कृति की अध्येता ही नहीं है; उन्होंने भारतीय समाज को बहुत नजदीक से देखा और परखा है। देश में होने वाली घटनाओं और दुर्घटनाओं पर उनकी कड़ी नजर रहती है। शायद इस कारण वह साहित्य समाज की राजनीति, संस्कृति की अंतर्व्यवस्था पर बेबाक और गहरी टिप्पणी करती हैं। ‘साहित्य क्या, क्यों और कैसे ?’ नारी चेतना, सत्ता और, स्त्री और देसी फेमिनिस्ट‘ आदि आलेख इसके सम्यक उदाहरण है।
मृदुला गर्ग ने ‘नारीवाद‘ की नई परिभाषा गढ़ी है, जिसके जरिए वह ‘प्रखर महिला प्रवक्ता‘ के रूप में सामने आती हैं। इतना ही नहीं नहीं वह समाज की हर गर्हित जिन्दगी की आलोचना करती और रास्ता सुहाती है, इस तरह लेखिका की साझेदारी केवल लेखन तक सीमित नहीं रहती, एक आन्दोलनकर्त्ता भी बन जाती है। ‘भोपाल गैस कांड‘ पर मृदुला गर्ग के आलेख, ‘एक चिड़िया भी नहीं चहचहाएगी‘, ‘उदासीनता का जहर‘ तथा ‘कालिदास का विरही मेघ‘ इस पुस्तक की उपलब्धि है इन आलेखों में मृदुला गर्ग की लेखकीय संवेदना और मानवीय करुणा का सामंजस्य देखने योग्य है। ‘चुकते नहीं सवाल‘ की एक विशिष्टता यह भी है कि लेखिका गद्य लेखन की प्रचलित परिपाटी को तोड़ती है। साहित्य और पत्रकारिता के बीच का रास्ता अख़्तियार करती हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
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