Daud

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Daud

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99.00 79.00

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Author: Mamta Kaliya

Availability: 2 in stock

Pages: 118

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788170557142

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

दौड़

‘दौड़’ को लघु उपन्यास कहें या लंबी कहानी, इसका रचनात्मक मूल्य किसी भी खांचे में रख भर देने से कतई कम नहीं हो जाता। दरअसल यह रचना उन कृतियों की श्रेणी में आती है जो बार-बार शास्त्रीय या कहें कि तात्विक किस्म की आलोचनात्मक प्रणालियों का सार्थक अतिक्रमण करती हैं।

ममता कालिया हिंदी कथालेखन में स्वयं एक स्तरीय मापदंड हैं। उनके लेखन ने स्त्री-पुरुष लेखन की निरर्थक हदबंदियों को भी तोड़ा है। हिंदी के कथा-साहित्य के पाठक इनके लेखन को बड़ी उम्मीद से देखते रहे हैं। यही कारण है कि कथा जगत् की इस बड़ी लेखिका की रचनाएँ सस्ती, तात्कालिक और पढ़ते ही नष्ट हो जाने वाली हंगामाखेज लोकप्रियता की बजाय पाठक को ऐसे रचना-संसार से अवगत कराती हैं जिसका निवासी स्वयं पाठक भी है। इसीलिए उनकी रचनाओं में बाँधकर रखने वाला वह गुण भी मौजूद है जिसे उत्कृष्ट स्तरीयता के साथ उपस्थित कर पाना बड़ी लेखकीय साधना का काम है। ‘दौड़’ आज के उस मनुष्य की कहानी है जो बाज़ार के दबाव-समूह, उनके परोक्ष-अपरोक्ष मारक तनाव, आक्रमण और निर्ममता तथा अंधी दौड़ में नष्ट होते मनुष्य के आसन्न खतरे में पड़े मनुष्य को उजागर करती है। यह रचना मनुष्यों की पारस्परिक संबंधों की परंपरा और पड़ताल करती है।

जिस कथित आर्थिक उदारीकरण ने बाजार और बाजारवादी व्यवस्था को ताकत दी है, अपने पारस्परिक नाते-रिश्तों को अनुदार, मतलबी और इतना अर्थ-केन्द्रित बना दिया है कि बिगड़े परिप्रेक्ष्य में आज संबंधों के मूल्य और अर्थ बदले नहीं बल्कि कहना चाहिए नष्ट हो गए हैं।

ममता कालिया ने यहाँ पात्रों और उनकी जीवनगत परिस्थितियों के माध्यम से इतना कुछ कह दिया है कि यह रचना आज के मनुष्य-चरित्र की प्रामाणिक आलोचना लगती है।

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Authors

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Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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