Dus Baras Ka Bhanwar

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Dus Baras Ka Bhanwar

Dus Baras Ka Bhanwar

200.00 180.00

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Author: Ravinder Verma

Availability: Out of stock

Pages: 206

Year: 2007

Binding: Hardbound

ISBN: 812671302x

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

बाबरी मस्जिद विध्वंस (1992) और गुजरात नरसंहार (2002) के बीच फैले दस वर्ष हमारे समकालीन इतिहास का ऐसा समय रचते हैं, जिनकी प्रतिध्वनियाँ देर और दूर तक जाएँगी। इस दशक में केवल साम्प्रदायिकता परवान नहीं चढ़ी, बल्कि नव-उदारवाद ने भी हमारे समाज में जड़ें पकड़ीं-जैसे दोनों सगी बहनें हों। उपभोक्तावाद मूल्य बना। सामाजिक सरोकार तिरोहित होने लगे। यह उपन्यास इसी आरोह-अवरोह को एक परिवार की कहानी द्वारा पकड़ने की कोशिश की है, जिसके केन्द्र में रतन का तथा-कथित ‘शिज़ोफ्रिनिया’ है और उसका सामना करते बाँके बिहारी हैं।

रतन के भाइयों की संवेदनहीनता जाने-अनजाने एक चक्रव्यूह की रचना करती है, जिससे बाँके बिहारी अपने छोटे बेटे को निकालते हैं। रतन अपने उन्माद में अपनी प्रेमिका का बलात्कार करता है। पत्रकार बाँकेबिहारी के लिए यह ‘गुजरात’ का रूपक बन जाता है।

इन्हीं कथा-सूत्रों के इर्द-गिर्द लेखकीय चिन्ताएँ बिखरी हैं, जो समकालीनता का अतिक्रमण करती हुई मनुष्य की नियति की पड़ताल करती हैं। यह प्रकृतवाद से परहेज करती हुई किस्सागोई है, जो नए यथार्थ के मुहावरे को रचने का प्रयास करती है। उपन्यास में समय और शिल्प का लचीलापन इसी मुहारवरे की तलाश है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2007

Pulisher

Language

Hindi

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