Fransisi Premi

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Author: Taslima Nasrin

Availability: 5 in stock

Pages: 336

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9789352294992

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

फ्रांसीसी प्रेमी
सुनहरे बाल, नीली आँखें, गुलाबी होंठ मादक एव सुगम शरीर। इस फ्रांसीसी युवक का नाम था बेनोया दूपँ। पहली बार देखते ही नीला उससे प्रेम करने लगती है। नीलांजना मंडल। सम्पन्न बंगाली परिवार की संतान। सुश्री, सप्रतिम सुशिक्षित पत्नी। किशनलाल का सजा-सजाया फ़्लैट नीला के लिए जेलखाना सा हो गया था। दो रेस्तोराँ का मालिक किशनलाल और साधारण भारतीय नीला को अपनी सम्पत्ति मानते थे। उसकी दृष्टि में पत्नी की इच्छा-अनिच्छा का कोई महत्व नहीं था। वह स्वयं को नीला के जीवन यौन कामना-वासना का नियन्ता मानता था।

नीला इस सोने की बेड़ियाँ काटकर भाग जाना चाहती है। किन्तु वह क्या करे ? किशनलाल का घर छोड़कर नीला भाग जाती है। अब उसके सामने गहरा अन्धकार था। अनिश्चय के इस जीवन के बीच नीला के जीवन में बेनोया दूपँ आ जाता है। यह फ्रांसीसी यूवक नीला के हृदय में झंझरवात उठा देता है। पेरिस की सड़कों पर, कैफे, जादूघर में पेटिंग की गैलरी में प्रेम की अभिनव कविता का प्रणयन होता है। दो जीवात्माओं का मधुमय जीवन-संगीत ! हठात् संगीत का स्वर खण्डित हो गया। छन्द भंग हो गया। नीला ने अनुभव किया कि बेनोया इसे नहीं स्वयं से प्रेम करता है। अन्य पुरुषों से इसमें कोई पार्थक्य नहीं है। बोदे लेयर की कविता। ओ मालाबारेर मेये’ में प्रश्न था हाय रे दुलाली, कैनो बेछिनिलि आभादेर एइ। जनकातर फ्रांस जेखाने धुःखेर शेष नेई !’’ नीला इस कविता की आवृत्ति करती है। किन्तु कविता में अभिव्यक्ति विषादमय भाग्य (नियति) को स्वीकार नहीं करती। अभिघात, अपमान वेदना को धूल की तरह झाड़कर नीला फिर खड़ी हो जाती है।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

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Publishing Year

2020

Pulisher

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