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Description
हानूश
भीष्म साहनी मूलतः कथाकार हैं, और नाट्य-लेखन के क्षेत्र में उनका पहला नाटक ‘हानूश’ ऐसा सशक्त प्रयास है जो भीष्म साहनी की प्रतिभा को रेखांकित करता है। इसकी पहली प्रस्तुति का ही दिल्ली में जैसा स्वागत हुआ, वह हिन्दी-रंगमंच के इतिहास की एक उपलब्धि है। चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग में आज से लगभग पाँच सौ साल पहले ताले बनानेवाले एक सामान्य मिस्त्री के दिमाग में घड़ी बनाने का भूत सवार हुआ, और तरह-तरह की विषम परिस्थितियों में लगातार सत्रह साल की कड़ी मेहनत के बाद वह चेकोस्लोवाकिया की पहली घड़ी बनाने में कामयाब हुआ, जो नगरपालिका की मीनार पर लगाई गई। लेकिन इतनी बड़ी सफलता के बाद उस कलाकार को क्या मिला ? बादशाह ने उसकी आँखें निकलवा लीं कि वह उस तरह की दूसरी घड़ी न बना सके। चेक-इतिहास की इस छोटी-सी घटना ने भीष्म साहनी के रचनाकार को आन्दोलित किया, और यों हिन्दी में एक श्रेष्ठ नाटक जन्म ले सका।
‘हानूश’ के माध्यम से भीष्म साहनी ने एक ओर कलाकार की सृजन की अदम्य अकुलाहट और उसकी निरीहता को उजागर किया है तो दूसरी ओर धर्म एवं सत्ता के गठबन्धन के साथ सामाजिक शक्तियों के संघर्ष को मार्मिक अभिव्यक्ति दी है। कलाकार के आमूल तनावों का अंकन ‘हानूश’ की एक उपलब्धि है, जो आज भी उतने ही सच हैं जितने पाँच शताब्दी पहले थे।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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