Kyon Phanse

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Kyon Phanse

Kyon Phanse

90.00 75.00

In stock

90.00 75.00

Author: Yashpal

Availability: 5 in stock

Pages: 120

Year: 2010

Binding: Paperback

ISBN: 9788180314865

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

क्यों फँसें

उससे भास्कर की पहली मुलाकात हुई आर्ट हाल में। प्रदर्शनी थी, उस साल के सौ नये चित्रों की। कलाप्रेमी समुदाय को नयी विकासोन्मुख प्रतिभाओं के परिचय का अवसर देने के लिये।

भास्कर राजधानी में एक खूब प्रतिष्ठित पत्र में काम करता है। मुख्यतः उसका क्षेत्र आर्थिक-राजनैतिक समस्याएँ हैं। कम उम्र में ही विशेष सम्वाददाता। कुछ लोगों का विचार है कि इस सफलता का आधार केवल योग्यता ही नहीं, मुसाहिबी का चातुर्य भी है। उसे साहित्य और कला में रुचि है। उस विषय में अच्छी समझ और गति भी। अवसर पड़ने पर या सहयोगियों के लिहाज में साहित्यिक गोष्ठियों, सांस्कृतिक समारोहों या कला प्रदर्शनियों के विवरण और उन पर टिप्पणियाँ भी निबाह देता है। उन क्षेत्रों से भी कुछ परिचय है।

पत्र के कला समीक्षक अरुण मित्रा को अकस्मात कलकत्ता जाना आवश्यक हो गया। भास्कर से अनुरोध कर गया – जरा चित्र प्रदर्शनी पर नजर डाल लेना। खलीफ़ा गुहा को उछालना चाहता है। दो लाइनें उसके लिये लिख देना।

Additional information

Weight 0.5 kg
Dimensions 21 × 14 × 4 cm
Authors

Binding

Paperback

ISBN

Pages

Publishing Year

2010

Pulisher

Language

Hindi

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