Swapna Aur Shakun

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Swapna Aur Shakun

Swapna Aur Shakun

90.00 80.00

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Author: Satyaveer Shastri

Availability: 5 in stock

Pages: 150

Year: 2018

Binding: Paperback

ISBN: 9788181330888

Language: Hindi

Publisher: Manoj Publications

Description

स्वप्न और शकुन

पाठकों से

सम्माननीय पाठक वृन्द !

सभी प्रकार के ज्ञान-विज्ञान का उद्गम दर्शनशास्त्र रहा है। भारतीय–दर्शन जीवन और जगत के रहस्यों का अनुसंधान कर सन्‍तोषजनक सिद्धान्तों के आधार पर उनकी व्याख्या करता आया है। ज्ञान, दर्शन का स्वरूप और उसकी सीमा है। मानव चूंकि एक जिज्ञासु प्राणी है और अपनी इसी प्रवृत्ति के कारण या अदम्य जिज्ञासा की प्रेरणा से, वह सदैव दार्शनिक समस्याओं का समाधान खोजने में लगा रहा है ज्योतिष विज्ञान भी मानव जिज्ञासा का ही परिणाम है।

वेद के छः अंग हैं जिनमें ज्योतिष प्रमुख है, इसे चक्षु की संज्ञा दी गई है। श्रीमद्‌ भास्कराचार्य ने अपने द्वारा रचित ‘सिद्धापन्त शिरोमणि’ नामक ग्रंथ में “वेद चक्षु किलेदं स्मृतं ज्योतिषम्‌’’ कहकर ज्योतिष विज्ञान की प्रशंसा की है। ज्योतिष की एक और परिभाषा भी है-“यथा शिखा मयूराणां नागाणां मणयो यथा” अर्थात जिस प्रकार मोर की शोभा उसके पंखों से और नाग की शोभा मणि से है, उसी प्रकार वेद की शोभा ज्योतिष से है।

ज्योतिष को त्रिस्कन्ध कहा गया है-सिद्धान्त (गणित), संहिता और होरा लेकिन समय-समय पर उसकी परिभाषा बदलती रही है। बाद में सिद्धांत में दो भाग और हुए-पहला तन्त्र और दूसरा करण। संहिता में मूलतः मुहूर्त ग्रहों के उदयास्तादि के फल, ग्रहचार एवं ग्रहण फलादि ही थे। बाद में शकुन और स्वप्नाध्याय इसमें और जोड़ दिये गये। इस प्रकार संहिता का स्वरूप होरा, गणित और शकुन मिश्रित हो गया। आजकल ज्योतिष पंचस्कन्धी हो गया है। प्रश्न और शकुन अलग से स्कन्ध मान लिए गये हैं।

प्रस्तुत पुस्तक में शकुन और स्वप्न-पर विस्तार से चर्चा की गई है। इस ज्ञान का आविष्कार प्राचीन ऋषियों ने अनुसन्धान एवं परीक्षण के बाद किया था। ऋषि परम्परा की मूल पुस्तकें तो आज उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन आर्ष-मनीषियों द्वारा रचित पुस्तकें रामायण, बृहत्‌ संहिता, बसंतराज शकुन आदि ग्रंथ, लोक विश्वास एवं स्वानुभव इस पुस्तक की रचना का आधार रहा है। शकुन अथवा स्वप्न शास्त्र के रचनाकाल के सम्बन्ध में बतलाना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है। स्वप्न अथवा शकुन द्वारा मिले संकेतों को महर्षि बाल्मीकि ने ही अपने काव्य में स्थान दिया हो ऐसी बात नहीं है, आयुर्वेद के चोटी के विद्वान आचार्य सुश्रुत एवं चरक ने भी शकुनों का उल्लेख किया है।

स्वप्न अथवा शकुन भी कर्म के आधार पर माने गये हैं। जीव अपने जन्मकाल में भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार के कर्म करता है, सभी कर्मों को एक साथ भोग पाना सम्भव नहीं है। प्रारब्ध के शुभाशुभ जैसे भी कर्म फल को लेकर जीव उत्पन्न होता है उसे जीवन में गमन समय प्रक्षी आदि शकुन रूप में उसके कर्म पाक को दर्शाते हैं। गांव अथवा नगर के शकुन और वन के शकुन अलग-अलग फल के नियामक हैं। मार्ग में स्वयं पर, सेना के साथ सेनानायक पर, गांव या नगर में नगराधीश पर, वाणिज्य में प्रधान पर, बराबर वालों में ज्ञान-विद्या और आयु में जो बड़ा हो उस पर शकुन फल का प्रभाव पड़ता है।

प्रस्तुत पुस्तक में यथा सम्भव शास्त्रीय किंवा आर्षशकुनों को ही दर्शाया गया है, इतने पर भी भूल मानव का स्वभाव है। प्रकाशक बन्धुओं का मैं आभारी हूं जिन्होंने पुस्तक को सुन्दर ढंग से प्रकाशित कर मेरा और आपका सम्पर्क कराया।

– विदुषामनुचरः

सत्यवीर शास्त्री

 

अनुक्रम

       स्वप्न विश्लेषण

       विभिन्न स्वप्न फल

★       प्रणय संबंधी फल

★       कुछ अन्य फल

★       अशुभ सूचक स्वप्न

★       मिश्रित स्वप्न फल

★       उन्‍नतिप्रद स्वप्न

★       मृत्युसूचक स्वप्न

★       शकुन मीमांसा शास्त्रीय व लोकदृष्टि

★       पशु-पक्षी और शकुन विचार

★       अंगों का फड़कना

★       अन्य शकुन-अपशकुन

★       संक्षिप्त स्वप्न फल

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

Pulisher

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