Kavi Shailendra : Zindagi Ki Jeet Mein Yakeen

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Kavi Shailendra : Zindagi Ki Jeet Mein Yakeen

Kavi Shailendra : Zindagi Ki Jeet Mein Yakeen

395.00 350.00

In stock

395.00 350.00

Author: Prahlad Agarwal

Availability: 5 in stock

Pages: 148

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126710010

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

कवि शैलेन्द्र जिन्दगी की जीत में यकीन

कुछ अकेले नहीं हैं और पहले भी नहीं हैं—शैलेन्द्र, विद्वज्जनों ने जिनकी ओर नज़र नहीं डाली—ऐसे अनेकानेक लोककवि हैं। यूँ हर ज़माने ने अपने ज़माने की लोकरचना की सादगी की संश्लिष्टता को स्वीकार करने में कोताही की—और होकर यूँ रहा कि समय के साथ वह रंग और गहरा होता चला गया। पीढ़ियाँ-दर-पीढिय़ाँ उनके शब्दों में ज़िन्दगी के नए मायने तलाशती रहीं। शैलेन्द्र के गीत हमारे बचपन की गुनगुनाहटों में शामिल होकर आज तक हमसफर हैं। दुनिया-भर की पुरकशिश कविता की तरह उन्होंने ज़िन्दगी की पुरपेंच गलियों में आलोकित राजपथ प्रशस्त किया। इतने सरल और लुभावने कि आवारा मिज़ाजी से ज़ुबाँ पर चढ़ जाएँ, कदम-ब-कदम ज़िन्दगी के फलसफे में तब्दील होते हुए। अपनी मासूम गुनगुनाहटों के शब्द के फनकार का नाम हमें सालों बाद पता चला और इस परिचय के ऊषाकाल में ही वह सितारा टूट गया।

जब शैलेन्द्र ने आत्मघात किया, हम उन्नीस साल के थे। इसके चंद महीने पहले ही शैलेन्द्र निर्मित एकमात्र फिल्म ‘तीसरी कसम’ प्रदर्शित हुई थी। नहीं मालूम सच है या झूठ, लेकिन कहा जाता है कि शैलेन्द्र को यकीन था, इसे राष्ट्रपति स्वर्णपदक मिलेगा—और मिला, लेकिन वह दिन देखने के लिए शैलेन्द्र नहीं थे। जनकवि शैलेन्द्र के बहुआयामी रचनात्मक अवदान का आकलन करने की विनम्र कोशिश है यह पुस्तक।

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Binding

Hardbound

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Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

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