Kavita Ki Zameen Aur Zameen Ki Kavita

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Kavita Ki Zameen Aur Zameen Ki Kavita

Kavita Ki Zameen Aur Zameen Ki Kavita

550.00 425.00

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550.00 425.00

Author: Namvar Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 228

Year: 2016

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126718948

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

कविता की जमीन और जमीन की कविता
‘आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ’, ‘छायावाद’ और ‘कविता के नए प्रतिमान’ जैसी कविता-केंद्रित पुस्तकों के लेखक प्रो. नामवर सिंह के अब तक असंकलित कविता-केंद्रित निबन्धों का संकलन है – ‘कविता की ज़मीन और ज़मीन की कविता’। ये निबन्ध लगभग पाँच दशकों की विस्तृत अवधि में लिखे गए हैं। संस्कृत कविता से लेकर प्रगतिशील काव्यधारा और नई कविता के कवियों पर केंद्रित निबन्ध यहाँ एक साथ संकलित हैं। साथ ही साथ कविता के प्रतिनिधि कवियों ब्रेख़्त और विशेषतः पाब्लो नेरुदा पर केंद्रित अनेक निबन्ध यहाँ मौजूद हैं।

पुस्तक का केंद्र प्रगतिशील और नई कविता है। ‘ज्ञानोदय’ में ‘नई कविता पर क्षण भर’ श्रृंखला तथा उस समय के अन्य निबन्धों में हमें सहज ही ‘कविता के नए प्रतिमान’ जैसी प्रबंधात्मक और संवादी पुस्तक के आलोचनात्मक मानस का विकास दिखाई देता है। बाद में विकसित हुई अनेक अवधारणाएँ यहाँ बीज रूप में मौजूद हैं। नागार्जुन-शमशेर पर लिखे गए निबन्धों से गुज़रते हुए हम सहज ही लक्षित कर सकते हैं कि ये निबन्ध ‘कविता के नए प्रतिमान’ पुस्तक की काव्य-दृष्टि का विस्तार और स्पष्टीकरण एक साथ है। एक हद तक उसमें छूट गए महत्त्वपूर्ण रचना-संसार को फोकस में लाने का एक गम्भीर प्रयास भी। एक तरह का प्रत्याख्यान।एक आलोचना प्रयास के केंद्र में यदि मुक्तिबोध हैं तो दूसरे के केंद्र में हैं नागार्जुन और त्रिलोचन।

कहना न होगा कि इन शीर्ष कवियों के माध्यम से प्रगतिशील काव्यधारा का खंडित रहा परिदृश्य इस तरह नामवर जी के आलोचना संसार में रचनात्मक पूर्णता के साथ उपस्थित हो पाया है।

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Binding

Hardbound

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Publishing Year

2016

Pulisher

Language

Hindi

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