Kepler

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Kepler

Kepler

95.00 80.00

In stock

95.00 80.00

Author: Gunakar Muley

Availability: 10 in stock

Pages: 99

Year: 2014

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126708802

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

केपलर

अपनी बात

योहानेस केपलर (1571-1630 ई.) कोपर्निकस के बाद और न्यूटन के पहले हुए। कोपर्निकस ने पहली बार प्रमाणित किया कि सूर्य सौरमंडल के केंद्रभाग में स्थित है और पृथ्वी सहित सभी ग्रह उसकी परिक्रमा करते हैं। परंतु कोपर्निकस भी यही मानते थे कि सभी ग्रह वृत्ताकार मार्ग में सूर्य का चक्कर लगाते हैं।

केपलर संसार के पहले वैज्ञानिक हैं जिन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रह वृत्तमार्ग में नहीं, बल्कि दीर्घवृत्तीय यानी अंडाकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इतना ही नहीं, चंद्रमा-जैसे उपग्रह भी दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में ही अपने-अपने ग्रहों का चक्कर लगाते हैं। यह एक महान खोज थी। आगे जाकर केपलर ने ग्रहों की गतियों के बारे में तीन नियमों की खोज की, जिनके कारण उन्हें आधुनिक खगोल-भौतिकी का जनक माना जाता है। विज्ञान के इतिहास में केपलर के इन तीन नियमों का चिस्थायी महत्व है।

केपलर मूलतः एक गणितज्ञ थे। उनका विश्वास था कि विधाता एक महान गणितज्ञ होना चाहिए।

ग्रहों की गतियों से संबंधित केपलर के तीन नियम पहले से तैयार नहीं होते, तो महान न्‍यूटन (1642-1727 ई.) का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत हमें इतनी जल्दी उपलब्ध नहीं हो पाता। न्‍यूटन ने भी स्वीकार किया था : “मैंने जो कुछ पाया है वह दूसरे महान वैज्ञानिकों के कंधों पर खड़े होकर ही।” इन ‘दूसरे महान वैज्ञानिकों’ में एक प्रमुख वैज्ञानिक थे – केपलर।

महान वेधकर्ता ट्यूको ब्राए (1546-1601 ई.) और केपलर का मिलन ख़गोल-विज्ञान के इतिहास की एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है। ट्यूकों ब्राए का सूक्ष्म वेधकार्य उपलब्ध होने से ही केपलर ग्रहों की गतियों के अपने तीन नियम खोजने में समर्थ हुए। इसलिए पुस्तक में मैंने ब्राए के बारे में थोड़े विस्तार से जानकारी दी है।

केपलर का सारा जीवन कष्टों में गुजरा। उन्हें न तो माता-पिता से सुख मिला, न ही पत्नी से| जीवन-भर उन्हें जीविका के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा फिर भी, वे सतत आकाश के अध्ययन में जुटे रहे। उन्होंने अपने मृत्युलेख में लिखा भी है : “मैंने अपने जीवन में आकाश का मापन किया है; … मेरा मस्तिष्क आकाश की उड़ान भरता था।’’

यह “केपलर” पुस्तक मैंने लगभग पैंतीस साल पहले लिखी थी और तीन बार छपने के बाद पिछले कई सालों से अप्राप्य थी। अब मैंने इसे दोबारा लिखा, इसमें नई सामग्री का समावेश किया और अनेक नए चित्र जोड़े। पुस्तक की सुंदर कंप्यूटर-सज्जा का श्रेय राजकमल के श्री नरेश कुमार को है।

आशा है, विज्ञान के विद्यार्थी, और अध्यापक भी, “केपलर” के इस नए संशोधित संस्करण को प्रेरणाप्रद और उपयोगी पाएंगे।

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Hardbound

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Publishing Year

2014

Pulisher

Language

Hindi

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