Khali Jagah

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299.00 240.00

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Author: Geetanjali Shree

Availability: 10 in stock

Pages: 244

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9788126718573

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

खाली जगह

संवेदना और गहरी दृष्टि से भाषा के अनोखे खेल की रचना करता है गीतांजलि श्री का उपन्यास – ‘ख़ाली जगह’। इस उपन्यास में लेखिका ने नैरेटिव की चिन्दियों को विस्फोट की तरह फैलने दिया है – बार-बार सत्यता के दावों में छेद करते हुए। ‘ख़ाली जगह’ में मूल तत्त्व वह हिंसा है जो हमारे, रोज़मर्रे की ज़िन्दगी में समा गई है। ‘बम’ इसका केन्द्रीय रूपक है जो ज़िन्दगियों के परखचे उड़ा देता है। एक अनाम शह के अनाम विश्वविद्यालय के सुरक्षित समझे जानेवाले कैफे में एक बम फटता है – और उन्नीस लोगों की शिनाख्त से शुरू होती है – ‘ख़ाली जगह’ की कहानी।

उन्नीसवीं शिनाख़्त करती है एक माँ – अपने राख हुए अठारह साल के बेटे की और यही माँ ले आती है बेटे की चिन्दियों के साथ एक तीन साल के बच्चे को, जो सलामत बच गया है, न जाने कैसे, ज़रा-सी ख़ाली जगह में…! गीतांजलि श्री ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव यथार्थ के बीच जो तालमेल बिठाती हैं वह स्पष्ट, तार्किक क्रम को तोड़ता है। वह उसमें लेखकीय वक्तव्य देकर कोई हस्तक्षेप नहीं करतीं। पात्रों की भावनाएँ, उनके विचार और कर्म, अस्त-व्यस्त उद्घाटित होते हैं, घुटे हुए, कभी ठोस, कभी ज़बरदस्त आस और गड़बड़ाई तरतीब में हैरानी से भिंचे हुए। पूछते से कि क्या यही है जीवन, यही होता है उसका रंग-रूप, ऐसा ही होना होता है ? ‘ख़ाली जगह’ गीतांजलि श्री के लेखन की कुशलता का सबूत है, वह कल्पना और यथार्थ के अभेद से बनी ज़िन्दगी बटोर लाती हैं और ‘ख़ाली जगह’ पाठकों के मन पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ जाता है।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Pages

Pulisher

Language

Hindi

Publishing Year

2022

1 review for Khali Jagah

  1. 5 out of 5

    Akshay kumar

    अत्यंत गहरी संवेदनाओं में लिखीं असहाय मां की कहानी जो राख हो गए अपने बेटे की जगह कैसे तीन साल के बच्चे को लाकर ‘ खाली जगह ‘ को भर लेती हैं।
    इस शून्य में गीतांजलि श्री अपनी गहरी संवेदनाओं और पैनी दृष्टि से कल्पनाओं और यथार्थ के बीच झूलती जिंदगी को निकाल लाती है।


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