Kinara

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Kinara

Kinara

300.00 240.00

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300.00 240.00

Author: Gulzar

Availability: 5 in stock

Pages: 104

Year: 2016

Binding: Hardbound

ISBN: 9788183618052

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

किनारा

साहित्य में ‘मंजरनामा’ एक मुक्कमिल फार्म है। यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रूकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ़ सकें। लेकिन मंजरनामा का अंदाजे-बयाँ अमूमन मूल राचन से अलग हो जाता है या यूँ कहें कि वह मूल रचना का इंटरप्रेटेशन हो जाता है। मंजरनामा पेश करने का एक उद्देश्य तो यह है कि पाठक इस फार्म से रू-ब-रू हो सकें और दूसरा यह कि टी.वी. और सिनेमा में दिलचस्पी रखनेवाले लोग यह देख-जान सकें कि किसी कृति को किस तरह मंजरनामे की शक्ल दी जाती है। टी.वी. की आमद से मंजरनामों की जरूरत में बहुत इजाफा हो गया है। ‘किनारा’ प्यार के अंतर्द्वन्द्व की कहानी है। जो संयोगों और दुर्योगों के बीच से होकर जाती है। एक तरफ प्यार की वफ़ादारी है जो विवंगत प्रेमी की स्मृतियों से भी दगा नहीं करना चाहती और दूसरी तरफ नए प्यार का अटूट समर्पण है जो एक दुर्घटना के गिल्ट को धोने के लिए अपना सब कुछ हारने को तैयार है। लेकिन नियति अपने लिखित को जब तक उसका एक-एक हर्फ़ सच न हो जाए, अंत तक उनके बीच बैठी बाँचती रहती है। पीड़ा के अपने चरम पर पहुँच जाने तक।

गुलजार की फ़िल्में इतने स्वाभाविक ढंग से फार्मूला-मुक्त होती हैं कि हम लोग जो साहित्य में भी फार्मूलों के अभ्यस्त रहे हैं और फिल्मों में भी उनकी कथा-योजना को देख हैरान-से रह जाते हैं। फिल्म ‘किनारा’ और उसकी कहानी भी ऐसी ही है।

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Authors

Binding

Hardbound

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Pages

Publishing Year

2016

Pulisher

Language

Hindi

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