Kirishnadharma Main

-10%

Kirishnadharma Main

Kirishnadharma Main

99.00 89.00

In stock

99.00 89.00

Author: Prabha Khetan

Availability: 5 in stock

Pages: 46

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9789389563856

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

कृष्णधर्मा मैं

मेरी इस पूरी कविता में कृष्ण मौजूद हैं उनकी मौजूदगी उस कौंध की मौजूदगी है जो कभी दिखती है कभी नहीं दिखती, मगर लापता कभी नहीं होती। हाँ, यह भी सच है कि मेरे पास ऐसा कोई विज़न नहीं, बस कहीं कछ आत्मा की गहराई में ज़रूर घटा कि अपने वैयक्तिक अनुभवों का अतिक्रमण करते हुए मैंने खुद यह राह चुनी; उस आग को कुरेदा, जो इच्छा, आकांक्षाओं और महत्त्वाकांक्षाओं की राख के नीचे एक मानवीय आग बनकर सुलग रही थी।

पूरी रचना के दौरान मैं आज की चुनौतियों के बीच अपने को कृष्ण की साझीदार पाती रही हूँ हास-उल्लास के क्षणों से लेकर महाभारत के महासंहार तक के प्रकरणों के बीच, केलि-कुंजों से लेकर प्रभास-तीर्थ तक की रचना-यात्रा के बीच। शायद साझेदारी के इस एहसास ने ही मुझे स्थूल कथा-सूत्रों से बचाकर चेतना के स्तर पर कृष्ण से जोड़ा है, कृष्णधर्मा बनाया है।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Kirishnadharma Main”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!