Kukurmutta

-15%

Kukurmutta

Kukurmutta

200.00 170.00

In stock

200.00 170.00

Author: Suryakant Tripathi Nirala

Availability: 3 in stock

Pages: 79

Year: 2017

Binding: Hardbound

ISBN: 9788180312731

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

कुकुरमुत्ता
‘कुकुरमुत्ता’ का संशोधित संस्करण, आशा है, पाठकों को पसन्द आयेगा। इसकी व्यंग्य और भाषा आधुनिक है। अर्थ-समस्या में निरर्थकता को समूल नष्ट करना साहित्य और राजनीति का कार्य है। बाहरी लदाव हटाना ही चाहिए, क्योंकि हम जिस माध्यम से बाहर की बातें समझते हैं वह भ्रामक है, ऐसी हालत में ‘इतो नष्टस्ततो भ्रष्टः’ होना पड़ता है। किसी से मैत्री हो, इसका अर्थ यह नहीं कि हम बेजड़ और बेजर हैं। अगर हमारा नहीं रहा तो न रहने का कारण है, कार्य इसी पर होना चाहिये। हम हिन्दी-संसार के कृतज्ञ हैं, जिसने अपनी आँख पायी हैं। इस पथ में अप्रचलित शब्द नहीं। बाजार आज भी गवाही देता है कि किताब चाव से खरीदी गई, आवृत्ति हजार कान सुनी गई और तारीफ लाख-मुँह होती रही। इसका विषय वस्तु, शिल्प, भाषिक संरचना और अभिव्यक्ति की नयी एकान्विति के कारण अद्‌भुत रूप से महत्वपूर्ण है।

इन आठों कविताओं का मिजाज बिकुल एक-सा है। उनकी ताजगी, उनके शब्द-प्रयोग, उनकी गद्यात्मकता का कवित्व, भाषा का अजीब-सा छिदरा-छिदरा संघटन, अन्दर तक चीरता हुआ व्यंग्य और उन्मुक्त हास्य-क्षमता तथा कठोरता के कवच में छिपी अगाध (अप्रत्यक्ष) करुणा और उपेक्षित के उन्नयन के प्रति गहरी आस्था, ‘निराला’ की रचना-सक्षमता और काव्य-दृष्टि के एक नये (सर्वथा अछूते नहीं) आयाम को हमारे सामने, उद्‌घाटित करती है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2017

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Kukurmutta”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!