Mahabazar Ke Mahanayak

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Mahabazar Ke Mahanayak

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150.00 115.00

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Author: Prahlad Agarwal

Availability: 4 in stock

Pages: 96

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9789388753074

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

महाबाजार के महानायक

सिनेमा कला का वह रूप है जो बाज़ार की शर्तों पर भी चलता है, और बाज़ार के लिए नयी शर्तें और मे’आर भी तय करता है। भारत में यही एकमात्र आर्ट है जिसकी रचना बाज़ार को ध्यान में रखकर की जाती है; वह बाज़ार जिसमें जनता ख़रीदार है, उसी की पसन्द-नापसन्द से सिनेमाई उत्पाद का भविष्य तय होता है।

प्रहलाद अग्रवाल हिन्दी के उन गिने-चुने लेखकों में हैं जिन्होंने सिनेमा के उतार-चढ़ाव पर हमेशा निगाह रखी है, नये ट्रेंड्स को पकड़ा है, सामाजिक-राजनीतिक सन्दर्भों में उनकी व्याख्याएँ की हैं, और फ़िल्मी गॉसिप की जगह सिनेमा का एक भाषिक विमर्श रचने का प्रयास किया है। इस पद्यात्मक किताब में वे यही काम थोड़ा अलग ढंग से कर रहे हैं। इसमें उनकी कुछ लम्बी कविताएँ ली गयी हैं जिनका विषय हिन्दी सिनेमा, उसके नायक-महानायक, सपनों की उस नगरी के भीतरी यथार्थ, उसके आदर्श, समाज के साथ उसके रिश्तों पर उन्होंने एक ख़ास तरंग में अपनी अनुभूतियों को बुना है।

कह सकते हैं कि यह हिन्दी फिल्मों के स्याह-सफ़ेद की काव्यात्मक व्याख्या है, जिसे पढऩे का अपना आनन्द है। इसे पढ़ते हुए हमें सूचनाएँ भी मिलती हैं और विचार भी। इसमें फिल्म पत्रकारिता का स्वाद भी है और कविता भी।

‘‘सिनेमा हमारे समय में एक प्रबल उपस्थिति, लोकप्रिय विधा और कलात्मक और मानवीय सम्भावनाओं का वितान लिये हुए है। प्रह्लाद अग्रवाल सिनेमा के अनूठे रसिक हैं और उस पर उन्होंने कई तरह से विचार किया है। यह पुस्तक नयी रोचक शैली में लिखी गयी है। इसे प्रस्तुत करते हुए हमें प्रसन्नता है।’’

अशोक वाजपेयी

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Paperback

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Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

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