Meethi Kahaniyan

-1%

Meethi Kahaniyan

Meethi Kahaniyan

100.00 99.00

In stock

100.00 99.00

Author: Swami Avdheshanand Giri

Availability: 5 in stock

Pages: 192

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9788131008027

Language: Hindi

Publisher: Manoj Publications

Description

मीठी कहानियाँ

दवा असरदार हो और कड़वी भी न हो अर्थात् वह मीठी हो तो उसे कौन नहीं खाना चाहेगा ? यदि ऐसी दवा के साथ परहेज की बात न हो तो बात है क्या है—ऐसा नीति शास्त्र में कहा गया है।

जीवन के बारे में जो समझ कथा-कहानियों से मिलती है, वह उपदेशों या दार्शनिक विवेचनाओं से नहीं मिल पाती। यही कारण है कि प्रत्येक धर्म-संप्रदाय में कथा-साहित्य का विस्तार हुआ। इसलिए प्रत्येक वक्ता या लेखक अपने भाषण और आलेख में विभिन्न घटनाओं तथा उदाहरणों का उल्लेख करता है।

इस पुस्तक की छोटी-छोटी कहानियां अपने अमूल्य संदेश को कब दिलो-दिमाग में उतार देती हैं, इसका पता ही नहीं चलता। इन्हें पढ़-समझ और याद करके आप दूसरों को प्रभावित करने में तो सफल होते ही हैं, ये आपको भी जिंदगी के विषय में नए सिरे से सोचने-समझने के लिए विवश करेंगी—ऐसा हमारा विश्वास है।

1

सफलता का मंत्र

बहुत पहले की बात है। किसी गांव में रामधुन और हरीराम नामक दो किसान रहते थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी। रामधुन के पास थोड़ी बहुत जमीन थी, जबकि हरीराम बहुत बड़े भूखंड का स्वामी था।

एक दिन रामधुन हरीराम के घर गया। वहां उसने देखा कि हरीराम चारपाई पर लेटा था और काफी परेशान नजर आ रहा था। चारपाई के आस-पास और पूरे घर में गंदगी फैली थी। रामधुन को देख हरीराम उठकर खड़ा हो गया। उसने रामधुन को आसन देने के बाद अपने नौकर को आवाज दी। कई बार पुकारने के बाद नौकर आया तो हरीराम ने उसे जलपान लाने को कहा।

रामधुन ने हरीराम से पूछा, ‘‘क्या बात है मित्र, तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो। तबीयत तो ठीक है ?’’ हरीराम बोला, ‘‘क्या बताऊं। समझ में नहीं आ रहा है कि हमारी खेती क्यों मारी जा रही है। जरूरत भर अनाज भी पैदा नहीं होता। इस तरह तो कुछ ही दिनों में गुजारा करना भी मुश्किल हो जाएगा।’’

रामधुन ने आश्चर्य से कहा, ‘‘मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है। तुम्हारे पास तो इतनी जमीन है, फिर भी तुम्हारा यह हाल कैसे हो गया ? खैर, चिंता की कोई बात नहीं है। तुम मेरे घर चलो। मैं तुम्हें एक साधु के पास ले चलूंगा, जो सफलता का मंत्र जानते हैं। मैंने भी उसी मंत्र के सहारे तरक्की की है।’’

हरीराम रामधुन के साथ उसके घर पहुंचा। वहां उसने देखा कि उसका घर बेहद साफ-सुथरा है, पशु भी बेहद हृष्ट-पुष्ट हैं। रामधुन की पत्नी ने हरीराम का भावभीना स्वागत किया और स्वयं नाश्ता लेकर आई। शाम को हरीराम ने देखा कि रामधुन और उसकी पत्नी ने खुद मिलकर पशुओं को दाना-पानी दिया। वे दोनों पति-पत्नी घर का सारा काम स्वयं कर रहे थे। उनके यहां कोई भी नौकर नहीं था। दूसरे दिन रामधुन ने कहा, ‘‘चलो हरीराम, अब साधु के पास चलते हैं।’’ हरीराम ने कहा, ‘‘नहीं मित्र, अब साधु के पास जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। मैं समझ गया कि तुम किस मंत्र की बात कर रहे हो। अब मैं भी तुम्हारी तरह ही मेहनत किया करूंगा। अपने काम के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहूंगा।’’ यह कहकर हरीराम घर लौट आया।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Meethi Kahaniyan”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!