Parmanu Karaar Ke Khatre

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Parmanu Karaar Ke Khatre

Parmanu Karaar Ke Khatre

200.00 160.00

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200.00 160.00

Author: Mahashweta Devi

Availability: 5 in stock

Pages: 164

Year: 2008

Binding: Hardbound

ISBN: 9788181438959

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

परमाणु करार के खतरे

नाभिकीय करार पर यूपीए सरकार और विपक्षी दलों के बीच खींचातानी और जोड़-तोड़ की आतुरता और वामपन्थियों के विरोध ने कम-से-कम इतना तो साफ़ कर ही दिया है कि यह मुद्दा जितना संवेदनशील है, उतना ही जटिल भी। ऊपर से, इस परिदृश्य पर अमरीका के राष्ट्रपति पद के चुनावों की मँडराती हुई छाया और भारतीय संसद के आगामी चुनावों के नजदीक आते जाने की भी अपनी भूमिका है। फिलहाल इन नाटकीय दाँवपेंचों से अलग मामला भारत के अमेरिकीकरण और अमेरिका की साम्राज्यवादी इच्छा को मंजूरी देने और उसके विरोध का है। यह बात अब शीशे की तरह साफ है कि इस समझौते का परमाणु ईंधन या ऊर्जा ज़ररूत से कोई ख़ास लेना-देना नहीं है।

दरअसल पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जिस तरह से भाग्य वधू से भारत को आज़ाद कराने की एक प्रतिज्ञा की थी और उसे 15 अगस्त, 1947 को पूरा किया, उसी तरह मनमोहन सिंह और उनके पीछे खड़े भारतीय मध्यवर्ग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश को भारत के अमेरिकीकरण का एक वचन दिया था और उसे वे हर कीमत पर 2008 में पूरा करके मानेंगे।

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Authors

Binding

Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2008

Pulisher

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