Raag Virag

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Raag Virag

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895.00 675.00

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Author: Suryakant Tripathi Nirala

Availability: 5 in stock

Pages: 130

Year: 2024

Binding: Hardbound

ISBN: 9788180310997

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

राग विराग

…यह उन कविताओं का संग्रह है जिनमें जितना आनन्द का अमृत है, उतना ही वेदना का विष। कवि चाहे अमृत दे, चाहे विष, इनके स्रोत इसी धरती में हों तो उसकी कविता अमर है। …जैसे ‘उड़ि जहाज को पंछी फिरि जहाज पर आवै’, निराला की कविता आकाश में चक्कर काटने के बाद इसी धरती पर लौट आती है। …निराला की कल्पना धरती के भीतर पैठकर वनबेला की सुगन्ध के साथ ऊपर उठती है। …इस धरती के सौन्दर्य से निराला का मन बहुत दृढ़ता से बँधा हुआ है। आकाश में उड़ने वाले रोमांटिक कवियों और धरती के कवि निराला में यही अन्तर है। …नारी के सौन्दर्य के बिना बसन्त का उल्लास अधूरा है। निराला की श्रृंगारी रचनाएँ देखकर विरोधी आलोचक कहते थे – ये कैसे छायावादी कवि हैं, जो अपने को ही रहस्यवादी कहते हैं और नारी सौन्दर्य के गीत भी गाते हैं। …निराला ने गतकर्म सरोज को अर्पित कर दिये, फिर नया कर्म आरम्भ किया, उन्होंने ‘राम की शक्ति-पूजा’ लिखी। ‘सरोज-स्मृति, से निराला का आधा दुख सरोज की मृत्यु के कारण है, आधा उनके अपने संघर्षों के कारण। …वह दुख की कथा सरोज के जन्म से पहले शुरू हुई थी और सरोज की मृत्यु के बाद बहुत दिन तक चलती रही। उसी की एक कड़ी है ‘राम की शक्ति-पूजा’। …यह संग्रह निराला के सुदीर्घ कवि जीवन की सार्थकता का भी प्रमाण है।

– राम विलास शर्मा (इसी संग्रह से)

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Binding

Hardbound

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Publishing Year

2024

Pulisher

Language

Hindi

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