Rajendra Yadav Rachanawali Vols. 1-15

-20%

Rajendra Yadav Rachanawali Vols. 1-15

Rajendra Yadav Rachanawali Vols. 1-15

6,000.00 4,800.00

In stock

6,000.00 4,800.00

Author: Rajendra Yadav

Availability: 5 in stock

Pages: 6449

Year: 2014

Binding: Paperback

ISBN: 9788183616737

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

राजेन्द्र यादव रचनावली भाग-1-15

राजेन्द्र यादव आज़ाद हिन्दुस्तान की दहलीज़ पर तैयार खड़ी नौजवान पीढ़ी के उस समुदाय के सदस्य हैं जिसकी मानसिकता 20वीं सदी के तीसरे-चौथे-पाँचवें दशक में विश्वव्यापी निराशा और मोहभंग में संरचित हुई है। दहलीज़ पर खड़ी आज़ाद, नौजवान पीढ़ी के इस समुदाय के लिए विचार, दर्शन, रणनीति, भविष्य की संरचना, आगामी का नक्शा—सबकुछ एक भिन्न विवेक और नए तर्क के सहारे गढ़ा जाना है। उसकी मंशा में नई शुरुआत अतीत के साथ सम्पूर्ण विच्छेद से होनी है।

राजेन्द्र यादव के रचनात्मक उपक्रम की अन्तर्वस्तु यही विचार है जो नई दुनिया की रचना का मूलाधार है। यह ‘कैंड़े’ के आदमी का काम है; गुर्दा चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो यह एक विरल पराक्रम है। अपनी पीढ़ी के रचनाकारों में राजेन्द्र यादव विशेषतः अपने विचार को उसकी तार्किक संगति की आखिरी हद तक ले जा सकने की क्षमता से लैस दिखाई देते हैं। उनके उपन्यासों में ऐसे ही किसी जड़ीभूत पारिवारिक-सामाजिक-राजनीतिक आग्रहों के उच्छेदन का अभियान छेड़ा गया है।

रचनावली के खंड 1 से 5 तक में संकलित उपन्यास इसकी गवाही देते हैं। राजेन्द्र जी ने अपने लेखन का प्रारम्भ कविताओं से किया। परन्तु बाद में 1945-46 की इन आरम्भिक कविताओं को महत्त्वहीन मान कर नष्ट कर दिया। बाद में लिखी उनकी कविताएँ ‘आवाज़ तेरी है’ नाम से 1960 में ज्ञानपीठ प्रकाशन से प्रकाशित हुईं। इनके अतिरिक्त राजेन्द्र यादव की कुछ कविताएँ अभी तक अप्रकाशित हैं। रचनावली का पहला खंड उनके इसी आरम्भिक लेखन को समर्पित है। जिसमें एक तरफ उनकी प्रकाशित-अप्रकाशित कविताएँ हैं और दूसरी तरफ ‘प्रेत बोलते हैं’’ और ‘एक था शैलेन्द’ जैसे प्रारम्भिक उपन्यास। दूसरे खंड में ‘उखड़े हुए लोग’ तथा ‘कुलटा’, तीसरे खंड में ‘सारा आकाश’, ‘शह और मात’, ‘अनदेखे अनजान पुल’ और चौथे खंड में ‘एक इंच मुस्कान’ तथा ‘मंत्रविद्ध’ जैसे उपन्यास शामिल हैं। रचनावली का पाँचवाँ खंड राजेन्द्र जी के अधूरे-अप्रकाशित उपन्यासों को एक साथ प्रस्तुत करता है। अधूरे होने के कारण इन सब को एक ही खंड में शामिल किया गया है।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Pages

Publishing Year

2014

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Rajendra Yadav Rachanawali Vols. 1-15”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!