Renuka

-20%

Renuka

Renuka

150.00 120.00

In stock

150.00 120.00

Author: Ramdhari Singh Dinkar

Availability: 5 in stock

Pages: 120

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9789393603654

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

रेणुका

दिनकर बन्‍धनों और रूढ़ियों से मुक्‍त अपनी राह के कवि हैं। इसलिए उन्‍हें स्‍वच्‍छन्‍दतावाद के कवि के रूप में भी रेखांकित किया गया। ‘रेणुका’ में इसकी स्‍पष्‍ट झलक मिलती है।

संग्रह की पहली कविता ‘मंगल आह्वान’ में दिनकर का जो उन्‍मेष है, उससे पता चलता कि वे राष्‍ट्रीय चेतना से किस तरह ओतप्रोत थे—‘भावों के आवेग प्रबल/मचा रहे उर में हलचल।’ परतंत्र भारत में असमानता और अत्‍याचार से विचलित होने के बजाय वे आक्रोश से भरे दिखते हैं जिसे व्‍यक्‍त करने के लिए वे अतीत-गौरव के ज़रिए भी सांस्‍कृतिक चेतना अर्जित करते हैं—‘प्रियदर्शन इतिहास कंठ में/आज ध्वनित हो काव्य बने/वर्तमान की चित्रपटी पर/भूतकाल सम्भाव्य बने।’ इसी कड़ी में वे ‘पाटलिपुत्र की गंगा से’, ‘बोधिसत्‍व’, ‘मिथिला’, ‘तांडव’ आदि कविताओं में चन्‍द्रगुप्‍त, अशोक, बुद्ध और विद्यापति तथा मिथकीय चरित्रों—शिव, गंगा, राम, कृष्‍ण आकर्षक भाषा-शैली में याद करते हैं। वे ‘हिमालय’ में गुणगान तो करते हैं, लेकिन समाधिस्‍थ हिमालय जन में उदात्त चेतना का प्रतीक बन सके, इसलिए यह कहने से भी नहीं चूकते कि ‘तू मौन त्याग, कर सिंहनाद/रे तपी! आज तप का न काल/नव-युग-शंखध्वनि जगा रही/तू जाग, जाग, मेरे विशाल!’

संग्रह में ‘परदेशी’ एक अलग मिज़ाज की रचना है। इसमें पौरुष स्‍वर के बदले लोकनिन्‍दा का भय गहनता में प्रकट है। इसी तरह ‘जागरण’, ‘निर्झरिणी’, ‘कोयल’, ‘मिथिला में शरत्’, ‘अमा-सन्ध्या’ जैसी कविताएँ भी हैं जिनमें क्रान्तिधर्मिता नहीं, बल्कि प्रकृति, जीवन और प्रेम का सौन्‍दर्य-सृजन है। ‘गीतवासिनी’ की ये पंक्तियाँ द्रष्‍टव्‍य हैं—‘चाँद पर लहराएँगी दो नागिनें अनमोल/चूमने को गाल दूँगा दो लटों को खोल।’

‘रेणुका’ की कविताएँ भि‍न्‍न-भिन्‍न स्‍वरों की होते हुए भी अपनी जातीय सोच और संवेदना में बृहद् कैनवस लिये हैं। इस संग्रह के बग़ैर दिनकर का ही नहीं, उनके युग का भी सही आकलन सम्‍भव नहीं।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Renuka”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!