Sadhana Mantra

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Sadhana Mantra

Sadhana Mantra

80.00 79.00

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80.00 79.00

Author: Swami Avdheshanand Giri

Availability: 10 in stock

Pages: 144

Year: 2017

Binding: Paperback

ISBN: 9788131003435

Language: Hindi

Publisher: Manoj Publications

Description

साधना मंत्र

साधना शब्द का अर्थ का भाव स्थिति से जुड़ा हुआ है। जो मनुष्य किसी साध्य (लक्ष्य) तक पहुंचना चाहता है, वह साधक है और जिनका उपयोग वह उपकरणों के रूप में करता है, वे साधन कहलाते हैं। साधक की ऐसी भाव-प्रक्रिया जहां जड़-साधन चेतन के रूप में प्रस्फुटित हो जाए, साधना की प्रारंभिक स्थिति हैं। इसमें साधक-साधन के तादात्म्य की पवित्र घटना घटित होती है।

साधना का व्याख्यान करने वाले ग्रंथों में बाह्य और आंतरिक साधनों की जो मीमांसा की गई है, उसका रहस्य यही है। बाह्य साधना में जड़ वस्तुओं का साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है जबकि आंतरिक साधना में उनका महत्त्व न के बराबर हो जाता है।

यात्रा में आने वाले छोटे-बड़े विभिन्न पड़ावों की तरह साधना में भी एक लंबी श्रृंखला होती है। इसमें रुक-ठहरकर, विश्राम करके, आगे की यात्रा के बारे में काफी कुछ सोच-समझकर, जान-बूझकर साधक इष्ट प्राप्ति की ओर बढ़ता है। प्रस्तुत पुस्तक में इस साधन-यात्रा में आने वाली स्थितियों-परिस्थितियों की कथा रूप में चर्चा की गई है। प्रत्येक कथा कुछ ऐसा संकेत दे जाती है जो साधक की दृष्टि पर पड़ी मोह की मोटी-पतली परत को चीर कर उसे दिव्यता प्रदान करती है।

श्रद्धेय महामंडलेश्वर श्री स्वामी अवधेशानंद जी महाराज के प्रवचनों और वार्ताओं से ली गई ये छोटी-छोटी कहानियां ऐसे सूत्रों का कार्य करती हैं जिन्हें अपना आधार बनाकर कोई भी साधक अपने जीवन को सफल बना सकता है।

 – गंगा प्रसाद शर्मा

साधना शब्द का प्रयोग ‘नियंत्रण’ के अर्थ में करना ज्यादा उपयुक्त लगता है। व्यवहार में ‘प्रशिक्षित’ के अर्थ में भी इसका प्रयोग किया जाता।

उपनिषदों में एक रूपक के माध्यम से साधना के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए ऋषि कहता है—‘आत्मा को रथी जानो। यह शरीर रथ है जबकि बुद्धि सारथी।

इस मंत्र में अश्वों के रूप में संकेत इंद्रियों की ओर किया गया है। इन अश्वों को मन ऊर्जावान बनाता है। इस प्रकार आध्यात्मिक साधना है मन का नियंत्रित होना—मन को प्रशिक्षित करना भी इसका संकेतार्थ हो सकता है।

प्रत्येक साधना पद्धति मन की कई परतों और इससे कई रूपों को स्वीकार करती है। यह कब अपना रूप बदल ले कुछ कहा नहीं जा सकता। साधना मन को समग्ररूप से जानने-समझने की समझ देती है। इस पुस्तक की कथाएं इसी दिशी में एक सशक्त प्रयास है। ये सभी उद्धृत हैं परमश्रद्धेय आचार्य महामण्डलेश्वर श्रीस्वामी अवधेशानंद जी महाराज के प्रवचनों, उद्बोधनों और वर्तालापों से। हमें विश्वास है साधकों के लिए ये कथाएं परम उपयोगी सिद्ध होंगी।

 

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2017

Pulisher

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