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Description
साहित्य सहचर
साहित्यिक पुस्तकें हमें सुख-दुःख की व्यक्तिगत संकीर्णता और दुनियावी झगड़ों से ऊपर ले जाती है और सम्पूर्ण मनुष्य जाति के और भी आगे बढ़कर प्राणि मात्र के दुःख-शोक, राग-विराग।
आह्वाद-आमोद को समझने की सहानुभूतिमय दृष्टि देती है। वे पाठक के हृदय को इस प्रकार कोमल और संवेदनशील बनाती है कि वह अपने क्षुद्र स्वार्थ को भूलकर अशिवों के सुख-दुःख को अपना समझने लगता है-सारी दुनियाँ के साथ अहलीका का अनुभव करने लगता है। एक शब्द में इस प्रकार के साहित्य को ‘रचनात्मक साहित्य’ कहा जा सकता है। क्योंकि ऐसी पुस्तकें हमारे ही अनुभवों के ताने-बाने से एक नये रस-लोक की रचना करती है। इस प्रकार की पुस्तकों को ही संक्षेप में ‘साहित्य’ कहते हैं।
साहित्य शब्द का विशिष्ट अर्थ यही है। प्रस्तुत पुस्तक में इस श्रेणी की पुस्तकों के अध्ययन करने का तरीका बताना ही आचार्य द्विवेदी जी का संकल्प हैं।
Additional information
| Authors | |
|---|---|
| Binding | Text |
| ISBN | |
| Pages | |
| Publishing Year | 2024 |
| Pulisher | |
| Language | Hindi |











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