Sahityamukhi : Dinkar Granthmala

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Sahityamukhi : Dinkar Granthmala

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695.00 585.00

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Author: Ramdhari Singh Dinkar

Availability: 5 in stock

Pages: 200

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9789388211925

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

साहित्यमुखी

साहित्य में निबन्धों की अपनी एक विशिष्ट किस्म की प्रमुखता रही है। यही कारण है कि गद्य की इस तार्किक और बौद्धिक विवेचना वाली विधा में हिन्दी के कालजयी साहित्यकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के निबन्ध अपने उद्देश्य में आज ही ऐतिहासिक महत्त्व रखते हैं। ‘साहित्यमुखी’ साहित्य की विभिन्न विधाओं और समस्याओं को समर्पित चिन्तनपूर्ण निबन्धों का संग्रहणीय श्रेष्ठ संकलन है जिसमें शामिल कई निबन्ध दिनकर के ओजस्वी वक्ता होने के प्रमाण और मिसाल हैं।

इन पठनीय और मननीय निबन्धों में प्रस्तुत हैं–‘आधुनिकता और भारत-धर्म’, ‘कविता में परिवेश और मूल्य’, ‘आधुनिकता का वरण’, ‘साहित्य में आधुनिकता’, ‘युद्ध और कविता’ जिन पर दिनकर के चिन्तन-जन्य विचार हैं तो वहीं गांधी, निराला, केशवसुत, टाल्स्टाय, शेक्सपियर और इलियट के प्रति आदरांजलि के साथ विचारोत्तेजक निबन्ध ‘शीर्षकमुक्त चिन्तन’ भी संकलित है। ‘साहित्यमुखी’ दिनकर की एक विशिष्ट विचारप्रधान कृति है।

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Authors

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Hardbound

ISBN

Language

Hindi

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Publishing Year

2019

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