Anaaj Pakne Ka Samay

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Anaaj Pakne Ka Samay

Anaaj Pakne Ka Samay

295.00 225.00

In stock

295.00 225.00

Author: Neelotpal

Availability: 5 in stock

Pages: 170

Year: 2023

Binding: Hardbound

ISBN: 9788119014965

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

अनाज पकने का समय

‘अनाज पकने का समय’ युवा कवि नीलोत्पल का पहला कविता-संग्रह है। सहज जीवन-विवेक और मूल्य-बोध से भरी हुई नीलोत्पल की कविता में खुलने और उगने की एक स्वाभाविक चाह हमेशा देखी जा सकती है। कवि की इमेजरी भी एक खुलती हुई-सी इमेजरी है-दूर की कौड़ी न सही-लेकिन उसमें बन्द या कुन्द होता कुछ नहीं है । उसमें कविता के लिए आवश्यक धैर्य और दत्तचित्तता है।

नीलोत्पल की कविता न मिथकों और आख्यानों में गहरे-भीतर तक जाती है, न उसमें अभिशप्त आधुनिकता की किरचें और ख़राशें हैं और न ही समकालीन कविता का रेटॉरिक ही उसमें दुहराया जाता है। नीलोत्पल में अन्तर्भूत आशय कभी अस्पष्ट नहीं होता। एक जटिल समय में, चीज़ों-स्थितियों के हमलावर धुँधलके के बीच, दुःसाध्य-दुष्प्राय समकालीन-बोध के पीछे छूट जाने और बहुधा कथ्य की एकांगिकता से जूझते रहने के बावजूद अगर नीलोत्पल का कवि-उद्यम मूल्यवान है, तो इसलिए कि उसकी कविता के दरवाज़े अन्ततः जीवन की तरफ़ खुलते हैं।

नीलोत्पल की कविता में टेक्नीक को लेकर ज़्यादा ऊहापोह नहीं है। कवि विशिष्ट कविता-जुगतों, ब्यौरों और उनके काव्यात्मक रूपान्तरण की तलाश में दूर तक नहीं जाता। उसका ज़ोर कथन की नैतिकता पर है। जिसे वह कविता-दर- कविता माँजता चला है। उसकी कविता मूल्य कथन की ओर बढ़ती है। इन मूल्य कथनों तक पहुँच सकने की दुष्करता और सरलीकरण के तमाम ख़तरों के बावजूद उसमें देश और स्थानिकता के संकेत हैं।

विस्थापन की कथा नीलोत्पल को हमेशा विचलित करती है। इस संग्रह में सरबजीत, हरसूद और नवक्षेत्रवाद के सन्दर्भ में लिखी गयी उनकी कविताओं में विस्थापन का दंश अनिवार्य भीतरी तत्त्व की तरह काम करता है। यह कविता हर इन्सान के सुरक्षित घर लौट आने की दुआ बन जाती है । यहाँ विस्थापन का अर्थ जीवन-यापन के सामान्य जन-संघर्षों पर आघात भी है। ‘कोई आग पैदा कर रहा है, बर्फ से जमे पहाड़ों पर’ – नीलोत्पल का कवि- वक्तव्य है, जिसमें उम्मीद की गहराई है। इन कविताओं का संघर्ष उन सभी छूटी हुई जगहों का संघर्ष है, जो बिखरने के बावजूद बार-बार अस्तित्व लेती है। प्रेम-कविताओं में गार्हस्थ्य की प्रौढ़ता है। यह जीवन के अनेकानेक दायित्वों के बीच विकसता- उमगता प्रेम है, जो अपनी स्फीति में एक उदात्त संश्लिष्टता हासिल करने लगता है। उसे पता है कि सभी रास्ते प्यार से होकर जाते हैं।

अनाज और धरती नीलोत्पल के प्रिय प्रतीक हैं। बीज की तरह खुलने और अन्न की तरह उगने की बेचैनी नीलोत्पल की कई कविताओं में नज़र आती है। यह अकारण नहीं है कि इस कविता-संग्रह का शीर्षक अनाज पकने का समय है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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