Sapnon Ki Mandi

-20%

Sapnon Ki Mandi

Sapnon Ki Mandi

250.00 200.00

In stock

250.00 200.00

Author: Geeta Shree

Availability: 5 in stock

Pages: 164

Year: 2013

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350721612

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

सपनों की मंडी

हिन्दी में शोध के आधार पर साहित्यिक या गैर-साहित्यिक लेखन बहुत ज्यादा नहीं हुआ है, जो हुआ है, उसमें विषय विशेष की सूक्ष्मता से पड़ताल नहीं की गयी है। सपनों की मंडी के माध्यम से लेखिका गीताश्री ने तकरीबन एक दशक तक शोध एवं यात्राओं और उनके अनुभवों के आधार पर मानव तस्करी के कारोबार पर यह किताब लिखी है। इस किताब में ख़ास तौर पर आदिवासी समुदाय की लड़कियों की तस्करी, उनके शोषण और नारकीय जीवन का खुलासा किया है। किताब में कई चौंका देने वाले तथ्यों से पाठक रूबरू होते हैं। लेखिका ने सभ्य समाज और आदिवासी समाज के बीच जो अंतर है उसकी एक समाजशास्त्रीय ढंग से व्याख्या की है। किताब में जिंदगी के उस अंधेरे हिस्से की कहानी है, जिसमें एक बाज़ार होता है। कुछ खरीददार होते हैं। कुछ बेचने वाले होते हैं और फिर मासूम लड़कियों का सौदा। लेखिका कहती हैं कि ताज्जुब तो तब होता है जब बेचने वाला कोई सगा निकलता है। लेखिका स्पष्ट तौर पर कहना चाहती हैं की, सपनों की मंडी में मासूम लड़कियों के सपनों के सौदे की कहानी है। सपनों की कब्र से उठती हुई उनकी चीखें हैं।

पुस्तक बताती है, क्या है ट्रैफिकिंग ? – ट्रैफिकिंग का आशय बहला-फुसलाकर या जबरन, महिलाओं या किशोरियों का आगमन, जिसमें उनका विभिन्न स्तरों पर शोषण किया जाता है। उनसे जबरन मज़दूरी और वेश्यावृत्ति करना। इसमें उन्हें किसी भी रूप में खरीदना, बेचना और एक स्थान से दूसरे स्थान पर उनकी इच्छा के विरुध्द ले जाना शामिल है।

यूएन की रिपोर्ट ? – सन 2007 में पेश संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों को पंजाब और हरियाणा में बेचने का चलन बढ़ा है। बिकने के बाद वहां बेटा पैदा करने तक उनका यौन शोषण किया जाता है। यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट फंड द्वारा तैयार की गयी ‘हयूमन ट्रैफिकिंग एक्सप्लोरिंग वलनेरबिलिटीज एंड रिसपोंसेज इन साउथ एशिया’ नामक इस रिपोर्ट के मुताबिक बेहतर लिंगानुपात वाले गरीब जिलों से कम लिंगानुपात वाले अमीर राज्यों में लड़कियों की मानव तस्करी होती है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2013

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Sapnon Ki Mandi”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!