Satyavati

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Author: Sushil Kumar

Availability: 5 in stock

Pages: 272

Year: 2020

Binding: Hardbound

ISBN: 9788190809528

Language: Hindi

Publisher: Samayik Prakashan

Description

सत्यवती : महाभारत के नारी पात्र

कालजयी महाकाव्य महाभारत का अभिनंदन पंचम वेद कहकर किया जाता रहा है। इस बृहद ग्रंथ के संबंध में मान्यता रही है कि जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं नहीं है। इसमें संदेह नहीं कि महाभारत की विराट कथावस्तु में भारतीय जन-जीवन का समग्र चित्र उपलब्ध है। उसके हर अंग का स्पर्श करने वाली अनेकशः मर्म वेधी घटनाओं का समावेश है। बृहद् सामाजिक परिवेश तथा जन-जीवन की स्थूल भौतिक स्थितियों के साथ-साथ अध्यात्म एवं ज्ञान की उच्चतम स्थापनाओं से संपन्न यह महाग्रंथ भारतीय संस्कृति का विश्वकोश माना जाता है। इसकी आधारभूत संकल्पनाएं ही वर्तमान भारतीय सभ्यता एवं समाज की आधार भूमि रही हैं।

स्वभावतः इस महाकाव्य की समर्थ नारियां हमारी संस्कृति के लिए विशेषकर भारतीय स्त्री के लिए दीपस्तंभ की ज्योति की भांति युगों से दिशानिर्देश करती रही हैं। सत्यवती उनमें से एक है – वस्तुतः सत्यवती इस महाकाव्य के प्रमुख अंश महासंग्राम के समय तक नहीं रही। वह तो अपने त्रिकालदर्शी पुत्र महर्षि वेदव्यास से युगांतकारी महासंहार की संभावना की घोषणा सुनते ही विरक्त होकर तपोवन में चली गई, किंतु महाभारत की भूमिका तो वास्तव में वह स्वयं ही थी। उनके जीवन की अत्यंत रोचक गाथा तथा उस समय के अतिरथी योद्धा भीष्म के संयोग से और भी मर्मस्पर्शी हो गई। अज्ञात कुल शील वाली श्याम वर्ण की इस युवती ने प्रख्यात कुरु कुल की राजमहिषी के रूप में अपने कुल की परंपरा को अक्षुण्ण रखने के लिए अनवरत संघर्ष किया और युग को अप्रत्याशित दिशा दीयह अपने आप में मर्मस्पर्शी गाथा है।

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Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2020

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