Shabd Aur Karm

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Shabd Aur Karm

Shabd Aur Karm

595.00 475.00

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Author: Manager Pandey

Availability: 5 in stock

Pages: 272

Year: 2017

Binding: Hardbound

ISBN: 9788170555438

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

शब्द और कर्म

कला और साहित्य से यथार्थ का ज्ञान होता है, भले ही वह ज्ञान विज्ञान से प्राप्त होनेवाले ज्ञान से भिन्न हो। कभी-कभी कला के माध्यम से प्राप्त यथार्थ का ज्ञान विज्ञान के ज्ञान से बेहतर साबित होता है। मार्क्स एंगेल्स ने लिखा है कि उन्हें इंग्लैण्ड और फ्रांस के समाज के यथार्थ का जैसा ज्ञान डिकेन्स और बालज़क के उपन्यासों से मिला वैसा समाज वैज्ञानिकों के लेखन से नहीं। क्रूप्सकाया ने लेनिन के बारे में लिखा है कि वे रूसी समाज के यथार्थ के ज्ञान के लिए रूसी – साहित्य, खासतौर से कथा-साहित्य, का अध्ययन करते थे । तोल्सतोय पर लिखे लेनिन के लेखों से भी यही साबित होता है।

कला का सौन्दर्यबोधी प्रभाव जितना महत्त्वपूर्ण होता है उतना ही महत्त्वपूर्ण उसका विचारधारात्मक प्रभाव भी होता है। सच बात तो यह है कि सौन्दर्यबोधी प्रभाव भी विचारधारात्मक प्रभाव से एकदम अछूता नहीं होता। फिर भी सौन्दर्यबोधी प्रभाव और विचारधारात्मक प्रभाव में अन्तर होता है। प्रभावों की इस भिन्नता को आलोचना के दो रूपों में देखा जा सकता है। विचारधारात्मक आलोचना और सौन्दर्यबोधी आलोचना में यही भिन्नता दिखाई देती है। मुक्तिबोध ने कामायनी का जो विवेचन किया है वह विचारधारात्मक आलोचना है, सौन्दर्यबोधी आलोचना नहीं । मुक्तिबोध की कविता की डॉ. रामविलास शर्मा ने जो आलोचना लिखी है वह भी मुख्यतः विचारधारात्मक आलोचना ही है, सौन्दर्यबोधी आलोचना नहीं।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Language

Hindi

Publishing Year

2017

Pulisher

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