Shabd Dhale Angaron Mein

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Shabd Dhale Angaron Mein

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240.00 200.00

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Author: Madhav Kaushik

Availability: 5 in stock

Pages: 120

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9789390659456

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

शब्द ढले अंगारों में

सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार माधव कौशिक की ग़ज़लें आख़िरी पंक्ति के आख़िरी आदमी की ग़ज़लें हैं और रचनाकार इस विषय में पूर्णतया आश्वस्त है कि समय-सीमान्तों पर लड़े जाने वाले युद्ध में अन्तिम विजय आख़िरी पंक्ति के इस आख़िरी आदमी की ही होगी। उनकी ग़ज़लों में समय तथा समाज अपनी सम्पूर्ण जटिलता तथा विविधता के साथ सदैव उपस्थित रहता है। माधव कौशिक का नवीनतम ग़ज़ल संग्रह ‘शब्द ढले अंगारों में’ कई मायनों में उनके पहले संग्रहों से विशिष्ट है। सामाजिक विसंगतियों, विषमताओं तथा दुराग्रहों से ग्रस्त समसामयिक स्थितियाँ पहले से अधिक चुनौती पूर्ण हो गयीं हैं। चारों तरफ़ एक अजीब-सी अफरातफरी का माहौल है। अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, हिंसा, विघटन, विस्थापन तथ मूल्यों के पतन ने मानव समाज तथा मानवीय मूल्यों को ख़तरे में डाल दिया है। इस संग्रह की ग़ज़लों में रचनाकार ने इन्हीं विषम स्थितियों का अंकन ही नहीं किया अपितु इनके विरुद्ध प्रतिरोध का स्वर भी बुलन्द किया है।

यही वजह है कि समय तथा समाज के ताप और संताप को अभिव्यक्त करते-करते यह शब्द दहकते हुए अंगारों में परिवर्तित हो जाते हैं। रचनाकार की आन्तरिक बेचैनी, छटपटाहट तथा व्याकुलता ने इन ग़ज़लों को ग़ज़ब की तुर्शी तथा धारदार तेवर प्रदान किया है। आम आदमी के संघर्ष तथा उसके सपने, उसकी आशा व निराशा तथा उसके उत्पीड़न तथा उत्थान की मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति इस संग्रह की सबसे बड़ी विशेषता है।

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Authors

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Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

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