Shahar Jo Kho Gaya

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Shahar Jo Kho Gaya

Shahar Jo Kho Gaya

550.00 440.00

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Author: Vijay Kumar

Availability: 5 in stock

Pages: 470

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9789395160285

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

शहर जो खो गया

एक शहर बहुत सारी स्मृतियों से बनता है। अपनी स्थानिकताओं से हमारे ये रिश्ते इस कदर सघन होते हैं कि कई बार तो यह समूचा परिवेश एक पहेली, तिलस्म या मिथक की तरह से लगने लगता है। समय की गति इस तरह से अनुभव होती है कि जो कल तक मौजूद था वह अब वहाँ नहीं है। लेकिन उसकी स्मृति हमारे भीतर अब अपने नये अर्थ रचने लगती है। एक आक्रामक ग्लोबल समय में अपने जनपद, अपनी स्थानिकताओं से यह रिश्ता मुझे ज़रूरी लगता है, वह अपने होने के बोध को एक नया अर्थ देता है। मेरा यह शहर जो विकास का एक मिथक रचता है और भारतीय आधुनिकता का प्रतीक कहलाता है, शायद वह हमारी आधुनिक सभ्यता की किसी मायावी दुनिया के तमाम रहस्यों को अपने भीतर समेटे किसी अकथ विकलता को रचता है। इस शहर की बसावट, इसकी बस्तियाँ, बाज़ार, मोहल्ले, इमारतें और गलियाँ, पुल और सड़कें, इसकी पहाड़ियाँ और इसका प्राचीन समुद्र, इसके दिन और रात, शोर और निस्तब्धता, भीड़ और घनघोर अकेलापन, क्रूरताएँ और करुणा, भव्यता और क्षुद्रताएँ, स्मृति और विस्मृति, संवाद और निर्वात सब एक-दूसरे से जटिल रूप से आबद्ध हैं। मनुष्य इन्हीं सबके बीच जीता चला जाता है। यह शहर मेरे लिए एक पाठ की तरह से रहा है, जिसमें समय, स्थितियों, मनुष्य और परिवेश के रिश्तों को खोलती हुई अनेक परतें हैं। एक गहरा विश्वास रहा है कि साहित्य और कला में कोई भी स्थानिकता कभी पूरी तरह से स्थानिक नहीं होती।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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