Shami Kagaz

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Shami Kagaz

Shami Kagaz

395.00 350.00

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Author: Nasira Sharma

Availability: 5 in stock

Pages: 174

Year: 2014

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350000458

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

दो शब्द

मेरी ईरान पर लिखी ये चन्द कहानियाँ उन यात्राओं की उपलब्धियाँ हैं जो मैंने पिछले चार सालों में की हैं। आप इन कहानियों को पढ़ें, इससे पहले आपसे कुछ कहना चाहूँगीं। ये कहानियाँ यथार्थ की धरती पर बोई एक ऐसी खेती हैं जिसके सन्दर्भ में मैं अमीरख़ुसरू के शब्दों को मैं दोहरा सकती हूँ :

मन तो शुदम, तो मन शुदी

मन तन शुदम, तो जां शुदी

(मैं तुझ में और तू मेरे में एकाकार हो गया, मैं शरीर बना तू उसकी आत्मा)

सूफी-दर्शन से ओत-प्रोत इस पंक्ति जैसा हाल मेरा भी था; अपना पराया कुछ न था। बस, जो मेरे दिल और दिमाग़ ने देखा, समझा और महसूस किया, वह काग़ज़ पर ढलकर कहानी बन गया। इस तलाश में सीमा का ध्यान न रहा। सच्चाई भी यही है। कि न मैं सीमा-रेखाओं को पहचानती हूँ और न ही मेरा विश्वास है उन पर। मैं तो केवल दो हाथ, दो पैर, दो कान, दो आँख, एक दिल और एक दिमाग़ वाले इन्सान को पहचानती हूँ। वह जहाँ भी, जिस सीमा, जिस परिधि में जीवन की सम्पूर्ण गरिमा के साथ मिल जाए, वहीं मेरी कहानी का जन्म होता है।

अहसास की भूमि पर रचा मेरा यह कहानियों का संकलन ‘शामी काग़ज़’ एक ऐसा दर्पण है जो ईरानी रंगों से शराबोर होने के बावजूद, इन्सानी भावनाओं का प्रतीक

है और उसमें हर देश, भाषा, रंग का इन्सान अपना प्रतिबिम्ब देख सकता है। सभ्यता ने उसे चाहे नई पहचान देकर विभिन्‍न नामों और विभिन्‍न देशी सीमाओं में बाँध दिया है, मगर इससे इनकार नहीं कि हम सब आदम की औलाद वास्तव में एक-दूसरे के अंग हैं जिनकी सृष्टि और उत्पत्ति का स्रोत एक है।

ये कहानियाँ केवल उस जनसमुदाय की संवेदनाओं और वेदनाओं की घड़कनें हैं जो धरती से जुड़ा, आशा और निराशा का संघर्षमय सफर तय कर रहा है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2014

Pulisher

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