Shivaji Ke Management Sootra

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Shivaji Ke Management Sootra

Shivaji Ke Management Sootra

175.00 150.00

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Author: Pradeep Thakur

Availability: 5 in stock

Pages: 176

Year: 2018

Binding: Paperback

ISBN: 9789352669417

Language: Hindi

Publisher: Prabhat Prakashan

Description

शिवाजी के मैनेजमेंट सूत्र

आज के प्रतिस्पर्धी युग में सफल व्यक्ति कहलाने के लिए यदि कोई उद्योगपति नहीं बन सकता, तो उसे या तो नेतृत्वकर्ता बनना पडे़गा या फिर प्रशासक या प्रबंधक। ऐसे में यदि भारत को अपनी पूरी संभावनाओं के साथ इस विश्वव्यापी प्रतिस्पर्धा में सफल होना है, तो उसे अपने भावी नेतृत्वकर्ताओं अर्थात् युवाओं के समक्ष स्वदेशी प्रेरणा-पुरुष को ही सामने रखना पडे़गा। इस दृष्टि से राष्ट्र-निर्माण के लिए भारतीय इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज जैसा सफल व आदर्श प्रेरणा-पुरुष के अतिरिक्त और कौन हो सकता है?
साधन को संसाधन (रिसोर्स) बनाने की योजना बनाने व उसे ठीक प्रकार से लागू करने की प्रक्रिया को ही प्रबंधन (मैनेजमेंट) या प्रबंधन कला या प्रबंधन कौशल कहा जाता है। अब यदि हम इसे शिवाजी महाराज के जीवन पर लागू करें तो प्रबंधन की परिभाषा इस प्रकार होगी—‘सही पारिश्रमिक देकर लोगों के माध्यम से काम करने की कला।’
जी हाँ, यदि शिवाजी महाराज प्रबंधन कला के विशेषज्ञ नहीं होते तो स्थानीय मालव जनजाति के लोगों से कैसे संगठित सेना का विकास कर पाते? और यदि उच्च कुशलता संपन्न यह सेना नहीं होती, तो फिर शिवाजी महाराज के लिए स्वराज का स्वप्न देख पाना और उसे साकार कर पाना कैसे संभव हो पाता? फिर वह, वर्षा के पानी के बहाव को रोकने, हवा से बिजली पैदा कर पाने, समुद्री लहरों से ऊर्जा प्राप्त करने और आग, धुआँ व ध्वनि का संचार का माध्यम की तरह उपयोग कर पाने में कैसे सक्षम हो पाते?
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने उत्तम प्रबंधकीय कौशल से हिंद स्वराज का सफल संयोजन किया। उनके बताए प्रबंधन सूत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक और प्रभावी है।

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अनुक्रम

भूमिका — Pgs. 7

1. शिवाजी व मराठा साम्राज्य — Pgs. 15

भोंसले वंश में अप्रतिम योद्धा का जन्म  — Pgs. 17

शिवाजी पर माता व गुरु का प्रभाव  — Pgs. 22

रायरेश्वर में ‘स्वराज’ की रक्त-शपथ  — Pgs. 23

आदिलशाही सल्तनत के साथ संघर्ष — Pgs. 25

मुगलों से रणनीतिक संघर्ष व विजय  — Pgs. 35

पुनर्विजय अभियान — Pgs. 53

दक्षिण में विजय व असमय मृत्यु  — Pgs. 56

2. आधुनिक प्रबंधन के महागुरु — Pgs. 61

प्रबंधन-मानकों की कसौटी पर शिवाजी  — Pgs. 61

स्वराज्य-प्रबंधन की चरित्रगत विशेषताएँ  — Pgs. 79

3. प्रबंधन-कला के महासाधक — Pgs. 92

स्वराज्य-प्रबंधन में शिवाजी की कलाकारी — Pgs. 93

स्वराज्य में शिवाजी का वैज्ञानिक प्रबंधन  — Pgs. 108

4. आधुनिक प्रबंधन के संस्थापक — Pgs. 112

कार्य-विभाजन के लिए अष्ठप्रधान परिषद्  — Pgs. 113

प्राधिकार व उत्तरदायित्व का संतुलन  — Pgs. 115

स्वराज्य में कठोर अनुशासन का पालन  — Pgs. 118

स्वराज्य में आदेश व मार्गदर्शन की एकता  — Pgs. 124

व्यक्तिगत हितों से ऊपर स्वराज्य-लक्ष्य  — Pgs. 127

स्वराज्य-कर्मियों की क्षतिपूर्ति व्यवस्था  — Pgs. 130

स्वराज्य में प्राधिकारों का केंद्रीकरण  — Pgs. 132

स्वराज्य प्रशासन की पर्यवेक्षण-शृंखला  — Pgs. 134

स्वराज्य में व्यक्ति व वस्तु की व्यवस्था  — Pgs. 136

स्वराज्य-प्रबंधन में ‘औचित्य’ का अनुपालन  — Pgs. 139

स्वराज्यकर्मियों को कार्य की प्रत्याभूति  — Pgs. 142

स्वराज्य प्रबंधन में ‘पहल’ की महत्ता  — Pgs. 146

स्वराज्य-संगठन में सामूहिक कार्य-भावना  — Pgs. 149

5. शिवाजी के प्रबंधन-पाठ — Pgs. 153

पहला पाठ : भावनात्मक व्यवहारों से लोगों का दिल जीतें — Pgs. 153

दूसरा पाठ : योग्यता को भरती व पदोन्नति का आधार बनाएँ — Pgs. 158

तीसरा पाठ : प्रभावी संवाद से विश्वास का निर्माण करें — Pgs. 161

चौथा पाठ : संगठन के महान् उद्देश्य को पहला स्थान दें — Pgs. 163

पाँचवाँ पाठ : प्रशासनिक दक्षता व   निडर निदेशक-मंडल विकसित करें  — Pgs. 165

छठा पाठ : मूल्य व नैतिकता-आधारित दूरदर्शिता विकसित करें — Pgs. 168

सातवाँ पाठ : सही संरक्षक को पहचानकर मार्गदर्शन प्राप्त करें — Pgs. 172

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

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