Smritiyon Mein Basa Samay

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Smritiyon Mein Basa Samay

Smritiyon Mein Basa Samay

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140.00 110.00

Author: Chandra kumar

Availability: 5 in stock

Pages: 104

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9789391277338

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

स्मृतियों में बसा समय

समय गति है, जिससे स्थायी-स्वभाव वाली स्मृति उलझती रहती है। समय और स्मृति के इसी उलझाव- सुलझाव में हमारी पहचान पोशीदा है। अज्ञेय जब कहते हैं कि ‘होना’ और ‘मैं’ दोनों स्मृति में बँधे हैं या ‘स्मरण करना’ ‘होना’ है तो सिलसिला ‘सर्वशास्त्राणं प्रथमं ब्रह्मणां स्मृतम्‌’ तक पहुँचता है। अर्थात्‌ प्राचीनता के साथ नित्य नवीनता तक।

बहुत सम्भव है चन्द्रकुमार ने इसीलिए स्मृतियों को चुनना पसन्द किया हो। अक्सर/ स्मृतियाँ ही चुनता हूँ/ मैं प्रेमी से ज़्यादा/ कवि बनकर जीता हूँ। जो अपने लिए ‘कवि होकर जीने’ का वरण करता है और स्मृतियाँ चुनता है, वह कहीं न कहीं यह भी मानता है कि कवि होना-स्मृतिजीवी होना है और स्मृति को शब्द बनाना कविता ‘बनाना’ है। दूसरे शब्दों में, कवि होना शब्द के स्मृति-गुण को पहचानना है। शब्द के पास अमरत्व है-अक्षर निर्मित है, इसीलिए, चन्द्रकुमार अपने अमर रह सकने का रास्ता कविता में ढूँढ़ते हैं : तुम मुझे कविता बनाकर दर्ज कर लो/ लिखे को यूँ मिटना आसान नहीं/ महकता रहूँगा तुम्हारे/ शब्दों में/ जब-जब पढ़ेगा कोई/ कविता।

– शीन काफ़ निज्ञाम

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Paperback

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Publishing Year

2021

Pulisher

Language

Hindi

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