- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
सूर और उनका साहित्य
सूरदास जी के साहित्य का कई दृष्टिकोणों से अध्ययन हुआ है और विद्वानों ने उच्चकोटि की साहित्यिक सामग्री प्रस्तुत की है, परन्तु उसका यथासम्भव सर्वाङ्गीण विवेचन नहीं हुआ। इसी बात को दृष्टिकोण में रखकर यह प्रयास किया है और इस पुस्तक में सूर के जीवन-चरित से लेकर काव्य-पक्ष तक विचार किया गया है। सूर-साहित्य-विषयक सभी उपलब्ध सामग्री का उपयोग किया गया है। यह सत्य है कि एक विशेष सम्प्रदाय में दीक्षित होने के कारण उसकी परम्पराओं का निर्वाह सूर ने अपना कर्तव्य समझा, परन्तु क्या वे सोलह आने उसका निर्वाह कर सके ? इस प्रश्न का असंदिग्ध उत्तर खोज निकालने में सन्देह है। भौतिकता से विरत हुए भक्त की तड़पन के साथ-साथ उनकी साधना में जीवन-मुक्त साधक की निर्मल उद्दाम आनन्दकेलि भी है। स्थूल रूप से इन दोनों प्रकार की भावनाओं की प्रस्तुत करने वाले उनके पदों में हमें शताब्दियों से चले आते हुए भक्ति आन्दोलन का समन्वित रूप स्पष्ट दीख पड़ता है।
सूर-साहित्य के आधार का विवेचन करने के लिए भागवत के अतिरिक्त अन्य सभी वैष्णव सम्प्रदायों की भी छान-बीन की है, और सभी वैष्णव-सम्प्रदायों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया है।
Additional information
Weight | 0.9 kg |
---|---|
Dimensions | 21 × 14 × 4 cm |
Authors | |
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.