Soor Sahitya

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Soor Sahitya

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495.00 375.00

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Author: Hazari Prasad Dwivedi

Availability: Out of stock

Pages: 159

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126700813

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

सूर साहित्य

‘‘श्री हजारीप्रसाद भक्ति-तत्त्व, प्रेम-तत्त्व, राधाकृष्ण-मतवाद आदि के सबंध में जो भी उल्लेख-योग्य, जहाँ कहीं से पा सके हैं, उसे उन्होंने इस ग्रथ में संग्रह किया है और उस पर भली-भांति विचार किया है, विचार का फलाफल उन्होंने स्पष्ट भाषा में ही लिखा है, इसका फल यह हुआ कि पुस्तक आराम के साथ, निश्चित, और आलास भाव से पढने लायक नहीं हुई है। पद-पद पर चिंता और विचार करने की जरूरत है। ‘भारतीय धर्ममत के इतिवृत की आलोचना भी एक विपद है। एक, सब कुछ को अति प्राचीन सिद्ध करने की प्रवृति और दूसरी, सब कुछ को अति अर्वाचीन सिद्ध करने की जिद। दोनों तरफ के इन दो पाषाण-संकटों के भीतर तरंग संकुल खर-स्रोत धरा में से भी द्विवेदीजी जो नैया खेकर घाट पर भिड़ा सके हैं, यह उनके लिए कम प्रशंसा की बात नहीं है।’’

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Binding

Hardbound

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Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

Language

Hindi

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